Thursday, 14 November 2019

राजपुरोहित समाज के शूरवीर सेनापति जगरामसिंहजी सेवड़ का इतिहास

शुरवीर सेनापती  जगराम जी  सेवड  राजपुरोहित  बिकानेर रियासत के  सेनापती  थे  ओर यह  छत्री हमें  बताती  है  कि  आप  बहुत  बड़े  महारथी  थे. , हमें  अपने  पुर्वजो  पर गर्व  है  ओर अधिक से अधिक  संख्या  मे वहां  पहुँच  कर अपना ओर अपने पुर्वजो  का सम्मान  बढाये
Wrriter=Mahendrasingh moolrajot dhandhora
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
7621931486

हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा


राजपुरोहित समाज का गौरव शोर्य पुरुष प्रताप सिंह जी

आज शौर्य पुरूष प्रताप सिह जी राजपुरोहित का शहीदी दिवस है.आपने अपने राजपुरोहित कुल कि आन ,बान,और शान को अजर अमर कर दिया.आप तत्काल समय कि मारवाड़ रियासत मे  अग्रीम पंक्ति के यौध्दा थे.समैल के युध्द मे पराक्रम से लडते हुए वीरगति पाई. उनके अद्म साहस् और और शौर्य को सिह् से अलंकरण किया . प्रोहित प्रताप जी को प्रताप सिघ के नाम से राव मालदेव ने मरणोपरांत सम्बोधित किया.ओर उसके बाद कुल और समाज अपने नाम के आगे सिघ् और वर्तमान मे सिह लगाकर अपने आप को गौरवान्तित कर रही है. आज समाज बन्धु देश और दुनिया मे अपने कौशल से आगे बढ रहै है। राजपुरोहितो का इतिहास आदी काल से उन्नत रहा है.पर इतिहास संकलित नही होने कि वजह से समाज अनभिज्ञ है.भारत् वर्ष मे और अपने मारवाड़ परगने मे आज भी अनेक थङकलै,सतरीया,और स्मारक आज भी भोमिया जी,झुझारजी,मोमोजी सतिजी और विभिन् नामो से पहचानी जाती है पर विस्त्रत जानकारी विलुप्त हो गई या कर दी गई.इनके परिणाम स्वरूप आज देश विदेश मे राजपुरोहित सरनेम् के प्रशनो के उतर वर्तमान पिढी  सटिक् नही दे पाती .अपनी समाज ब्राह्मण कुल से तो ही पर इस कुल ने मानव सभ्यता, संस्कृति, संस्कार को बनाये रखने के लिए बहुत त्याग किया समाज की एक पहचान ओर मान सम्मान था.आज भी है यह पुराने इतिहासो मे दर्ज है .गावो के सिलालेखौ,रावौ और भाटो की बहियो मे दर्ज है.इन बहियो को देखो पढो और शोध करो ताकी स्वाभिमान और संन्कार बने रहे. राजपुरोहित स्वय पुर्ण होता था. पुरोहित एक पद् था. यह पद् योग्यता से दिया था.हम सभी उसी योग्य वर्क्ष कि शाखाऐ है. समाज के त्यागी पुर्वजों को मान सम्मान देना पङैगा.यही हमारै गौर्व थे और आदिकाल तक रहेगे.
जय हो
 शौर्य पुरूष  वीर प्रताप सिंह जी राजपुरोहित
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
7621931486


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सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा