Friday, 6 December 2019

श्री हनुमानजी चालिसा का हिन्दी अर्थ सहित

हम सब हनुमान चालीसा पढते हैं, सब रटा रटाया।

क्या हमे चालीसा पढते समय पता भी होता है कि हम हनुमानजी से क्या कह रहे हैं या क्या मांग रहे हैं?

बस रटा रटाया बोलते जाते हैं। आनंद और फल शायद तभी मिलेगा जब हमें इसका मतलब भी पता हो।

तो लीजिए पेश है श्री हनुमान चालीसा अर्थ सहित!!

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श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।
📯《अर्थ》→ गुरु महाराज के चरण.कमलों की धूलि से अपने मन रुपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूँ, जो चारों फल धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष को देने वाला हे।★
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बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार।★
📯《अर्थ》→ हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन.करता हूँ। आप तो जानते ही हैं, कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुःखों व दोषों का नाश कर दीजिए।★
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर, जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥★
📯《अर्थ 》→ श्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों,स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है।★
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राम दूत अतुलित बलधामा, अंजनी पुत्र पवन सुत नामा॥2॥★
📯《अर्थ》→ हे पवनसुत अंजनी नंदन! आपके समान दूसरा बलवान नही है।★
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महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥★
📯《अर्थ》→ हे महावीर बजरंग बली! आप विशेष पराक्रम वाले है। आप खराब बुद्धि को दूर करते है, और अच्छी बुद्धि वालो के साथी, सहायक है।★
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कंचन बरन बिराज सुबेसा, कानन कुण्डल कुंचित केसा॥4॥★
📯《अर्थ》→ आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।★
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हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे, काँधे मूँज जनेऊ साजै॥5॥★
📯《अर्थ》→ आपके हाथ मे बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है।★
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शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जग वंदन॥6॥★
📯《अर्थ 》→ हे शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन! आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर मे वन्दना होती है।★
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विद्यावान गुणी अति चातुर, राम काज करिबे को आतुर॥7॥★
📯《अर्थ 》→ आप प्रकान्ड विद्या निधान है, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम काज करने के लिए आतुर रहते है।★
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प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया, राम लखन सीता मन बसिया॥8॥★
📯《अर्थ 》→ आप श्री राम चरित सुनने मे आनन्द रस लेते है। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय मे बसे रहते है।★
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सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा, बिकट रुप धरि लंक जरावा॥9॥★
📯《अर्थ》→ आपने अपना बहुत छोटा रुप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके.लंका को जलाया।★
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भीम रुप धरि असुर संहारे, रामचन्द्र के काज संवारे॥10॥★
📯《अर्थ 》→ आपने विकराल रुप धारण करके.राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उदेश्यों को सफल कराया।★
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लाय सजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये॥11॥★
📯《अर्थ 》→ आपने संजीवनी बुटी लाकर लक्ष्मणजी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया।★
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रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई, तुम मम प्रिय भरत सम भाई॥12॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा की तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।★
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सहस बदन तुम्हरो जस गावैं, अस कहि श्री पति कंठ लगावैं॥13॥★
📯《अर्थ 》→ श्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से.लगा लिया की तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है।★
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सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा, नारद,सारद सहित अहीसा॥14॥★
📯《अर्थ》→श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते है।★
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जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते, कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते॥15॥★
📯《अर्थ 》→ यमराज,कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते।★
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तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा, राम मिलाय राजपद दीन्हा॥16॥★
📯《अर्थ 》→ आपनें सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।★
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तुम्हरो मंत्र विभीषण माना, लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥17॥★
📯《अर्थ 》→ आपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है।★
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जुग सहस्त्र जोजन पर भानू, लील्यो ताहि मधुर फल जानू॥18॥★
📯《अर्थ 》→ जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है की उस पर पहुँचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझ कर निगल लिया।★
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प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि, जलधि लांघि गये अचरज नाहीं॥19॥★
📯《अर्थ 》→ आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुँह मे रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नही है।★
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दुर्गम काज जगत के जेते, सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥★
📯《अर्थ 》→ संसार मे जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।★
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राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥★
📯《अर्थ 》→ श्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप.रखवाले है, जिसमे आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नही मिलता अर्थात आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है।★
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सब सुख लहै तुम्हारी सरना, तुम रक्षक काहू.को डरना॥22॥★
📯《अर्थ 》→ जो भी आपकी शरण मे आते है, उस सभी को आन्नद प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक. है, तो फिर किसी का डर नही रहता।★
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आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हाँक ते काँपै॥23॥★
📯《अर्थ. 》→ आपके सिवाय आपके वेग को कोई नही रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक काँप जाते है।★
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भूत पिशाच निकट नहिं आवै, महावीर जब नाम सुनावै॥24॥★
📯《अर्थ 》→ जहाँ महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहाँ भूत, पिशाच पास भी नही फटक सकते।★
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नासै रोग हरै सब पीरा, जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥★
📯《अर्थ 》→ वीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते है,और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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संकट तें हनुमान छुड़ावै, मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥26॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! विचार करने मे, कर्म करने मे और बोलने मे, जिनका ध्यान आपमे रहता है, उनको सब संकटो से आप छुड़ाते है।★
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सब पर राम तपस्वी राजा, तिनके काज सकल तुम साजा॥ 27॥★
📯《अर्थ 》→ तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ है, उनके सब कार्यो को आपने सहज मे कर दिया।★
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और मनोरथ जो कोइ लावै, सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥★
📯《अर्थ 》→ जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करे तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन मे कोई सीमा नही होती।★
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चारों जुग परताप तुम्हारा, है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥★
📯《अर्थ 》→ चारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग मे आपका यश फैला हुआ है, जगत मे आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है।★
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साधु सन्त के तुम रखवारे, असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥★
📯《अर्थ 》→ हे श्री राम के दुलारे ! आप.सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है।★
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अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता॥३१॥★
📯《अर्थ 》→ आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है।★
1.) अणिमा → जिससे साधक किसी को दिखाई नही पड़ता और कठिन से कठिन पदार्थ मे प्रवेश कर.जाता है।★
2.) महिमा → जिसमे योगी अपने को बहुत बड़ा बना देता है।★
3.) गरिमा → जिससे साधक अपने को चाहे जितना भारी बना लेता है।★
4.) लघिमा → जिससे जितना चाहे उतना हल्का बन जाता है।★
5.) प्राप्ति → जिससे इच्छित पदार्थ की प्राप्ति होती है।★
6.) प्राकाम्य → जिससे इच्छा करने पर वह पृथ्वी मे समा सकता है, आकाश मे उड़ सकता है।★
7.) ईशित्व → जिससे सब पर शासन का सामर्थय हो जाता है।★
8.)वशित्व → जिससे दूसरो को वश मे किया जाता है।★
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राम रसायन तुम्हरे पासा, सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥★
📯《अर्थ 》→ आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण मे रहते है, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।★
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तुम्हरे भजन राम को पावै, जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥★
📯《अर्थ 》→ आपका भजन करने से श्री राम.जी प्राप्त होते है, और जन्म जन्मांतर के दुःख दूर होते है।★
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अन्त काल रघुबर पुर जाई, जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई॥34॥★
📯《अर्थ 》→ अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते है और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलायेंगे।★
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और देवता चित न धरई, हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥★
📯《अर्थ 》→ हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते है, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नही रहती।★
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संकट कटै मिटै सब पीरा, जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥★
📯《अर्थ 》→ हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते है और सब पीड़ा मिट जाती है।★
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जय जय जय हनुमान गोसाईं, कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥★
📯《अर्थ 》→ हे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझपर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए।★
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जो सत बार पाठ कर कोई, छुटहि बँदि महा सुख होई॥38॥★
📯《अर्थ 》→ जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बन्धनों से छुट जायेगा और उसे परमानन्द मिलेगा।★
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जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा, होय सिद्धि साखी गौरीसा॥39॥★
📯《अर्थ 》→ भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी है कि जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी।★
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तुलसीदास सदा हरि चेरा, कीजै नाथ हृदय मँह डेरा॥40॥★
📯《अर्थ 》→ हे नाथ हनुमान जी! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है।इसलिए आप उसके हृदय मे निवास कीजिए।★
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पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रुप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥★
📯《अर्थ 》→ हे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनन्द मंगलो के स्वरुप है। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय मे निवास कीजिए।★
ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ
🌹सीता राम दुत हनुमान जी को समर्पित🌹
🍒💠🍒💠🍒💠🍒💠🍒
🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏🌹🙏
कृपया आगे भी औरौं को भेजें🙏।। जय श्री राम 🙏🚩🚩🚩🚩🚩
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
9510951660
7621931486


हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा

Thursday, 14 November 2019

राजपुरोहित समाज के शूरवीर सेनापति जगरामसिंहजी सेवड़ का इतिहास

शुरवीर सेनापती  जगराम जी  सेवड  राजपुरोहित  बिकानेर रियासत के  सेनापती  थे  ओर यह  छत्री हमें  बताती  है  कि  आप  बहुत  बड़े  महारथी  थे. , हमें  अपने  पुर्वजो  पर गर्व  है  ओर अधिक से अधिक  संख्या  मे वहां  पहुँच  कर अपना ओर अपने पुर्वजो  का सम्मान  बढाये
Wrriter=Mahendrasingh moolrajot dhandhora
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
7621931486

हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा


राजपुरोहित समाज का गौरव शोर्य पुरुष प्रताप सिंह जी

आज शौर्य पुरूष प्रताप सिह जी राजपुरोहित का शहीदी दिवस है.आपने अपने राजपुरोहित कुल कि आन ,बान,और शान को अजर अमर कर दिया.आप तत्काल समय कि मारवाड़ रियासत मे  अग्रीम पंक्ति के यौध्दा थे.समैल के युध्द मे पराक्रम से लडते हुए वीरगति पाई. उनके अद्म साहस् और और शौर्य को सिह् से अलंकरण किया . प्रोहित प्रताप जी को प्रताप सिघ के नाम से राव मालदेव ने मरणोपरांत सम्बोधित किया.ओर उसके बाद कुल और समाज अपने नाम के आगे सिघ् और वर्तमान मे सिह लगाकर अपने आप को गौरवान्तित कर रही है. आज समाज बन्धु देश और दुनिया मे अपने कौशल से आगे बढ रहै है। राजपुरोहितो का इतिहास आदी काल से उन्नत रहा है.पर इतिहास संकलित नही होने कि वजह से समाज अनभिज्ञ है.भारत् वर्ष मे और अपने मारवाड़ परगने मे आज भी अनेक थङकलै,सतरीया,और स्मारक आज भी भोमिया जी,झुझारजी,मोमोजी सतिजी और विभिन् नामो से पहचानी जाती है पर विस्त्रत जानकारी विलुप्त हो गई या कर दी गई.इनके परिणाम स्वरूप आज देश विदेश मे राजपुरोहित सरनेम् के प्रशनो के उतर वर्तमान पिढी  सटिक् नही दे पाती .अपनी समाज ब्राह्मण कुल से तो ही पर इस कुल ने मानव सभ्यता, संस्कृति, संस्कार को बनाये रखने के लिए बहुत त्याग किया समाज की एक पहचान ओर मान सम्मान था.आज भी है यह पुराने इतिहासो मे दर्ज है .गावो के सिलालेखौ,रावौ और भाटो की बहियो मे दर्ज है.इन बहियो को देखो पढो और शोध करो ताकी स्वाभिमान और संन्कार बने रहे. राजपुरोहित स्वय पुर्ण होता था. पुरोहित एक पद् था. यह पद् योग्यता से दिया था.हम सभी उसी योग्य वर्क्ष कि शाखाऐ है. समाज के त्यागी पुर्वजों को मान सम्मान देना पङैगा.यही हमारै गौर्व थे और आदिकाल तक रहेगे.
जय हो
 शौर्य पुरूष  वीर प्रताप सिंह जी राजपुरोहित
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
7621931486


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Monday, 26 August 2019

सेवड़ गौत्र राजपुरोहित समाज का इतिहास

सेवङ राजपुरोहित कि कुलदेवी - बिसहस्त माता
यह जोधा तथा सूंडा राठोडो इके पिरोयत है । इनका कथन
है कि इनके पूर्वज गौड़ ब्राह्मण थे । इनके कथन के
अनुसार इनके बडेरे देपाल कन्नोज से राव सियाजी
के साथ आये थे। सियाजी ने इनको अपना पुरोहित
बनाया और वे मारवाड के पिरोयतो में सगपन करके इस कौम में
मिल गये ।
मारवाड़ में ज्यों ज्यों राठौड़ो का राज बढ़ता गया सेवड़ पिरोयतो को
भी उसी तरह ज्यादा से ज्यादा शासन
गांव मिलते रहे और उनकी औलाद भी
राठौड़ो के अनुसार बहुत फैली । आज क्या
जमीन, क्या आमदनी और क्या
जनसंख्या में सेवड़ पिरोयत कुल पिरोयतो से बढ़े हुये है।
देपाल जी से कई पुश्त पीछे
बसंतजी हुए । उनके दो बेटे
बीजड़जी और बाहड़जी
थे बीजड़जी मलीनाथ
जी के पास रहते थे । कंरव जगमाल
जी ने उनको बीच में देकर अपने काका
जेतमाल जी को सिवाने से बुलाया और दगा से मार
डाला । बीजड़जी इस बात से खेड़
छोड़कर बीरमजी के पास चले गये ।
राव चूंडाजी ने जब सम्वत् 1452 में मंडोर का राज
लिया तो उनकी या उनके बेटे हरपाल को गेवां बागां
और बड़ली वगैरा कई गांव मंडोर के पास-पास शान
दिये। बाहड़जी के कूकड़जी के
राजड़जी हुए जिनकी औलाद के शासन
गांव साकड़िया और कोलू परगने शिव में है। हरपाल के पांच बेटे
थे:-
1. रूद्राजी - इनके तीन बैटे
खींदाजी,
खींडाजी और कानाजी थे ।
खींदाजी के खेताजी,
खेताजी के रायमल, रायमल के पीथा
जी जिसकी औलाद में शासन गांव
बड़ली परगने जोधपुर है। रायमल का बेटा उदयसिंघ
था । उसके दो बेटे कूंभाजी और भारमल हुए ।
कूम्भाजी की औलाद का शासन गांव
खाराबेरा परगने जोधपुर में और भारमल की औलाद
का शासन गांव धोलेरया परगने जालौर में है।
खींडाजी की औलाद का
शासन गांव टूकलिया परगने मेड़ता में है। कानाजी
की औलाद में शासन गांव पाचलोडिया, चाँवणडिया,
प्रोतासणी और सिणया मेड़ता परगने के हैं।
2. दूसरा बेटा हरपाल का देदाजी,
जिसकी औलाद के शासन गांव बावड़ी
छोटी और बड़ी परगने
फलौदी, ओसियां का बड़ा बास और बाड़ा परगने
जोधपुर है।
3. तीसरा दामाजी । ये राव
रिड़मलजी के साथ चितौड़ में रहते थे । जिस रात कि
सीसोदियो ने रावजी को मारा और राव
जोधाजी वहां से भागे तो उनका चाचा
भीभी चूंडावत ऐसी
गहरी नींद में सोया हुआ था कि उसको
जगा-जगा कर थक गये मगर उसने तो करवट भी
नहीं बदली । लाचार उसको
वहीं सोता हुआ छोड़ गये । दामाजी
भी उनके पास रहा । दूसरे दिन
सीसोदियो ने भीम को पकड़ कर कतल
करना चाहा तो दामाजी ने कई लाख रूपये देने का
इकरार करके उसको छुड़ा दिया और आप उसकी
जगह कैद में बैठ गये । कुछ दिनों पीछे जब
सीसोदियो ने रूपये मांगे तो कह दिया कि मैं तो
गरीब ब्राह्मण हूं । मेरे पास इतने रूपये कहा ।
यह सुनकर सीसोदियो ने दामाजी को छोड़
दिया। जोधाजी ने इस बंदगी में चैत बद
15 सम्वत् 1518 के दिन गयाजी में उनको बहुत
बड़ा शासन दिया जिसकी आमदनी दस
हजार रूपये से कम नहीं थी ।
दामाजी के जानशीन तिंवरी
के पुरोहितजी कहलाते हैं। गांव तिंवरी
जोधपुर परगने के बड़े-बड़े गांवो में से एक नामी गांव
नौ कोस की तरफ है।
दामाजी पिरोयतो में बहुत नामी हुए हैं
और उनकी औलाद भी बहुत
फैली कि एक लाख दमाणी कहे जाते
हैं । यानि एक लाख मर्द औरत बीकानेर, मारवाड़,
ईडर, किशनगढ़ और रतलाम वगैरा राठोड़ रियासतों में सन् 1891
तक थे । इनके फैलाव की हद उत्तर
की तरफ गांव नेरी इलाके
बीकानेर जाकर खत्म होती है और
यही पिरोयतो के सगपन की
भी हद थी जिसके वास्ते मारवाड़ में
यह औखाणा मशहूर है ‘‘गई नैरी सो
पाछी नहीं आई बैरी’’ यानि
जो औरत नैरी में ब्याही गई फिर वह
पाछी नहीं आई क्योंकि जोधपुर से सौ
डेढ़ सौ कोस का फासिला है और इसी वजह से
पिरोयतो की औरतों में ढ़ीट लड़कियों को
नैरी में ब्याहने की एक
धमकी है। वे कही है कि तू जो
कहना नहीं करती है तो तुझको
नैरी में निकालूंगी कि फिर
पीछी नहीं आ सके ।
दामाजी के छः बेट े थे!
1. नाडाजी (ना औलाद) जिसने जोधपुर के पास
नाडेलाव तालाब बनाया ।
2. बीसाजी । इन्होंने
बीसोलाव तालाब खुदाया था । इसका बेटा
कूंपाजी और कूंपाजी के
तीन बेटे, केसूजी, भोजाजी,
और मूलराज जी । केसोजी
की औलाद में शासन गांव घटयाला परगने शेरगढ़ है।
भोजाजी की औलाद में शासन गांव
तालकिया परगना जेतारण है। मूलराज जी ने
मूलनायक जी का मन्दिर जोधपुर में और एक बड़ा
कोट गांव भैसेर में बनवाया जिससे वह भैसेर
कोटवाली कहलाता है। इनके बेटे पदम
जी के कल्याणसिंघ जी जिन्होने
तिंवरी में रहना माना । इनके बड़े बेटे रामसिंघ, उनके
मनोहरदास, उनके दलपतजी थे । ये बैशाख बद 9
सम्वत् 1714 को उज्जैन की लड़ाई में काम आये
जो शहजादे औरंगजेब और महाराजा श्री जसवंत
सिंह जी में हुई थी ।
दलपतजी के अखेराज महाराज श्री
अजीतसिंह जी के त्रिके में हाजिर रहे

अखेराज के सूरजमल, उनके रूपसिंघ, उनके कल्याणसिंघ,
उनके महासिंघ (खोले आये) महासिंघ के दोलतसिंघ, दोलतसिंघ के
गुमानसिंह जो आसोज सुदी 8 सं. 1872 को आयस
देवनाथ जी के साथ किले जोधपुर में नवाब
मीरखांजी के आदमियों के हाथ से काम
आये, उनके नत्थूसिंघ, उनके अनाड़सिंघ उनके भैरूसिंघ उनके
हणवतसिंघ जो अब तिंवरी के पिरोयत है। इनका
जन्म सं. 1923 का है। दूसरे बेटे अखेराज के
केसरीसिंघ जो अहमदाबाद की लड़ाई में
काम आये। इनके दो बेटे प्रताप सिंह, अनोपसिंघ थे । प्रतापसिंघ
की औलाद का शासन गांव खेड़ापा परगने जोधपुर है
जहां रामस्नेही का गुरूद्वारा है। अनोपसिंह
की औलाद का शासन गांव दून्याड़ी
परगने नागौर है। तीसरे बेटे अखेराज के जयसिंघ
की औलाद का शासन गांव जाटियावास परगने
बीलाड़ा है। चौथे बेटे महासिंघ के चार बेटे सूरतसिंह,
संगरामसिंह, लालसिंह, चैनसिह की औलाद का शासन
गांव खीचोंद परगना फलोदी है। पांचवे
बेटे विजयराज के बड़े बेटे सरदार सिंघ की आलौद
का शासन भेंसेर कोतवाली दूसरे बेटे राजसिंह
की औलाद का भेंसेर कूतरी परगने
जोधपुर, तीसरे और चौथे बेटे जीवराज
और बिशन सिंह की औलाद का आधा-आधा गांव
भावड़ा परगने नागौर शासन है। छटा बेटा महासिंघ का तेजसिंह
सूरजमल के खोले गया, सातवें बेटे फतहसिंघ का छटा बंट गांव
भावड़ा में है।
कल्याणसिंह के दूसरे बेटे गोयंददास जी औलाद का
शासन गांव ढडोरा परगने जोधपुर और तीसरे बेटे
रायभान की औलाद का शासन गांव भटनोका परगने
नागौर है।
मूलराज के दूसरे बेटे महेसदास की औलाद का
शासन गावं चाड़वास परगने सोजनत में है तीसरे बेटे
छताजी की औलाद का शासन गांव
धूड़यासणी परगने सोजत में हैं चौथे रायसल का
मालपुरया पगरने जेतारण परगने में हैं छोटे भानीदास
का गांव भेाजासर बीकानेर में है।
3. तीसरा बेटा दामाजी का
ऊदाजी जिसकी औलाद के शासन गांव
बिगवी और थोब परगने जोधपुर में है।
4. चौथा बेटा दामाजी का बिज्जाजी
जिसकी औलाद में शासन गांव घेवड़ा परगने जोधपुर,
रूपावास परगने सोजत और मोराई परगने जैतारण है।
5. दामाजी का पांचवा पुत्र पिरोयत
विक्रमसी यह जोधपुर के राव जोधाजी
के कंवर बीकाजी के साथ 01
अक्टूबर 1468 को जोधपुर से (बीकानेर) नये
राज्य को जीतने के लिए रवाना हुए इनका वंश
अपनी वीरता एवं शोर्य के लिए रियासत
बीकानेर के स्तम्भ रहे और इनको पट्टे में मिले
गांव इस रियासत में है। विक्रमसी का पुत्र
देवीदास 29 जून 1526 को जैसलमेर में सिंध के
नवाब से युद्ध करते हुए वीर गति को प्राप्त हुए
इनको इस वीरता एवं जैसलमेर पर अधिकार करने
के फलस्वरूप गांव तोलियासर एवं 12 अन्य गांव पट्टे में मिले
एवं पुरोहिताई पदवी मिली ।
देवीदास के पुत्र लक्ष्मीदास 12 मार्च
1542 को जोधपुर के राव मालदेव के बीच युद्ध में
काम आये बड़े पुत्र किशनदास को उनकी
वीरता के लिए थोरी खेड़ा गांव पटटे में
मिला जिनके पोते मनोहर दास ने इस गांव का नाम किसनासर रखा।
किसनदास के पुत्र हरिदास ने हियादेसर बसाया । सूरसिंह के
गद्दी पर बैठने के बाद तोलियासर के पुरोहित मान
महेश की जागीर जब्त
करली इसके विरोध में मान महेश ने गढ़ के समाने
अग्नि में आत्मदाह कर लिया जहां अब सूरसागर है इसके बाद
से तोलियासर के पुरोहितो से पुरोहिताई पदवी निकल
गई लगभग 1613 में यह पदवी कल्याणपुर के
पुरोहितो को मिली । हरिदास के
लिखमीदास व इनके गोपालदास व इनके पसूराम
जी हुए इनके पुत्र कानजी को आठ
गांव संवाई बड़ी, कल्याणपुर, आडसर,
धीरदेसर, कोटड़ी, रासीसर,
दैसलसर और साजनसर पट्टे में मिले इनके सात पुत्रों का वंश
अब भी इन गांवो में है। बीकानेर राज्य
के इतिहास में सन् 1739 में जगराम जी, सन्
1753 में रणछोड़ दास जी, सन् 1756 में जगरूप
जी, सन् 1768 में ज्ञान जी सन्
1807 में जवान जी, सन् 1816 में जेठमल
जी, सन् 1818 में गंगाराम जी व सन्
1855 में प्रेमजी व चिमनराम का
जीवन वीरता एवं शौर्य के लिए
प्रसिद्ध रहा है। कल्याणपुर के टिकाई पुरोहित शिवनाथ सिंह
जी के इन्तकाल के बाद पुत्र भैरूसिंह
जी की रियासत से नाराजगी
के बाद से यह पदवी कोटड़ी गांव के
पुरोहित हमीरसिंह जी को
मिली । इसके बाद इनके बड़े पुत्र
मोतीसिंह जी व उसके बाद स्व.
मोतीसिंह जी के बड़े पुत्र
श्री भंवरसिंह टिकाई है।
6. दादोजी का छटा पुत्र देवनदास जिसके बड़े बेटे
फल्लाजी का शासन गांव नहरवा दूसरे बेटे रामदेव
का पापासणी परगने जोधपुर में है फल्ला ने
फल्लूसर तलाब बनाया जिसको फज्जूसर भी कहते
है।
मारवाड़ एवं थली के अलावा किशनगढ़, ईडर,
अहमदनगर और रतलाम वगैरा राठोड़ रियासतो में भी
सेवड़ पिरोयतो के शासन गांव है।
प्रस्तुत करता:- महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल
9510951660
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जय श्री रघुनाथ जी री सा

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सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा

Friday, 16 August 2019

सृष्टि राचियता जगतपिता श्री ब्रह्माजी के वर्तमान में 14 मंदिरों का विवरण

एक समय पूरे भारत मे सबसे ज्यादा पूज्य भगवान  #ब्रह्माजी ही थे, मां गायत्री ( = सावित्री ) इन्ही की पत्नी हैं.
देवता, मानव को तो छोड़िए दानव भी इन्ही की उपासना व तपस्या करते थे, किसी भी पुराण-इतिहास ग्रंथ को देख लीजिए सभी लोग केवल ब्रह्मा जी की ही उपासना करते मिल जाएंगे.
बड़े से बड़ा वरदान केवल इन्ही से मिलता था.

इनकी पूजा से सनातनियों को विमुख करके श्रीहीन करने के लिए सुनियोजित दुष्प्रचार व षड्यंत्र किया गया, शास्त्रों में फेर-बदल करवाई गई (मुस्लिम व ईसाई शासन काल मे) जिसके दुष्परिणाम अब सामने हैं.

जय जगतपिता ब्रह्मदेव
-------------------------------

प्रस्तुत है ब्रह्मा जी के वर्तमान विशिष्ट मंदिरों  का वर्णन  ब्राह्मण महेन्द्रसिंह राजपुरोहित मनणा जसोल के द्वारा -

 भगवान ब्रह्माजी के 14  विशिष्ट मंदिर -

1. पुष्कर (अजमेर)
2. ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा (बाड़मेर)
3. कालंद्री (सिरोही)
4. बसंतगढ़ (सिरोही)
5. हाथल (सिरोही)
6. खेड़ा (जालोर)
7. सियाना (जालोर)
8. ढालोप (पाली)
9. छिंछ (बांसवाड़ा)
10.खेड़ ब्रह्म (साबरकांटा) ((गुजरात))

हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा




11.जखन लिमडी (सुरेन्द्रनगर)((गुजरात))
12. आदि ब्रह्मा मंदिर, खोखन (हिमाचल प्रदेश)
13.परब्रह्म मंदिर, ओचिरा(केरल)
14. पूरा उलामार कोइल ब्रह्मा मंदिर, तिरुचिरापल्ली
     (तमिलनाडु)
भगवान ब्रह्मा जी पर पोस्ट लिखने का दो उद्देश्य थे :

१- भगवान ब्रह्मा की पूजा इस देश में होती रही है और उनके मन्दिर तथा मूर्तियां आज भी हैं।
२-उनकी पूजा की वैदिक तथा पौराणिक पद्धति क्या थी इस पर चर्चा हो।

काशी के आचार्य मृत्युंजय त्रिपाठी  हैं ।
उनकी पुस्तक में भगवान ब्रह्मा के चारित्रिक दोष दिखलाए गए हैं। इसकी चर्चा कि दोष तो वृंदा और तुलसी को लेकर भगवान  विष्णु में भी था। ऋषियों के शाप से भगवान शिव का लिंगच्छेद होना भी दोष ही था।फिर इनकी पूजा क्यों नहीं बन्द की गई?
भागवत महापुराण में ब्रह्मा जी की वाणी की पवित्रता, इन्द्रियों की अजेयता, मन की स्थिरता का वर्णन मिलता है।
।। न भारती मेंगमृषओपलक्ष्यते।।

भगवान ब्रह्मा के मंत्रों और प्रयोगों को ढूंढना तथा उनके सहयोग से यज्ञ विज्ञान को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
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।। ॐ ब्रह्मणे नमः ।।

Sunday, 21 July 2019

आत्महत्या रोकने के उपाय

आत्महत्या रोकने के उपाय
सबसे सरल उपाय हैं श्री मद भागवत  गीता का पाठ करे
आपके मन मे आत्महत्या या आत्मक्षति जैसे विचार आ रहे हैं.
अगर आपको कोई तात्कालिक शारिरिक खतरा है तो सहायता के लिए कृपया अपने स्थानीय कानून या आत्म हत्या हेल्पलाइन 104 न. डायल करें
*डॉक्टरों से सलाह लेने के लिए संपर्क करे*
*02227546669*
*09422627571*
*082750383882*
यदि आपको कुछ समस्या आ रही है और अभी खतरा नहीं है तो हम आपको कुछ चीजों के बारे में बताना चाहते हैं जो इसमें अभी आपकी सहायता कर सकती हैं:
हेल्पलाइन पर किसी से बातचीत करें
उनके पास जाएँ जिस पर आप विश्वास करते हैं
अपने आप को थोड़ा आराम दें और कुछ ऐसा करें जिसे करने में आप को खुशी मिलती हो और जिसे करते हुए आप स्वयं के बारे में अच्छा सोच सकें
हेल्पलाइन पर किसी से बातचीत करें
आत्महत्या रोकने से संबंधित उपाय
National Suicide Prevention Lifeline पर प्रशिक्षित सहायक अभी ऑनलाइन हैं. सभी बातचीत गोपनीय रखी जाती है और इसके लिए कोई शुल्क नहीं लगता है. उन्हें 1-800-273-8255 पर कॉल करें या चैट प्रारंभ करें.
अन्य हॉटलाइन पर संपर्क करना चाहते हैं तो कृपया रोकथाम संसाधनों की पूर्ण सूची पर जाएँ.
उनके पास जाएँ जिस पर आप विश्वास करते हैं
उससे संपर्क करें जिस पर आप विश्वास करते हैं जैसे कि परिवार के सदस्य, दोस्त, परामर्शदाता या शिक्षक और आपके दिमाग में जो भी चल रहा है उन्हें बताएँ. उदाहरण के लिए, आप कह सकते हैं, मुझे कुछ समस्या आ रही है और मैं आपसे इसके बारे में बातचीत करना चाहता हूँ. यदि आप "हाँ" कहें तो क्या आप मुझसे बातचीत करने के लिए कुछ समय निकाल सकते हैं?
अपने आप को थोड़ा आराम दें और कुछ ऐसा करें जिसे करने में आप को खुशी मिलती हो और जिसे करते हुए आप स्वयं के बारे में अच्छा सोच सकें
ध्यान केंद्रित करना तब मुश्किल हो सकता है जब आप बहुत ही पराजित महसूस कर रहे हों और आपको समस्या का समाधान उस समय नहीं मिलता है. कुछ देर के लिए रुकें, गहरी साँस लें और अपनी भावनाओं को कुछ देर के लिए विराम दें.
Forefront औरNational Suicide Prevention Lifeline पर स्वयं-सुरक्षा विशेषज्ञों से प्राप्त इनमें से कुछ सुझावों को अपनाएं.
कुछ देर के लिए बाहर जाएँ:
टहलने, सैर करने या मोटर साइकिल से कहीं घूमने निकल जाएँ
फिल्म देखने के लिए जाएँ
कुछ ऐसे नए स्थानों पर जाएँ जहां आप कभी नहीं गए हों जैसे कि कॉफी शॉप, संग्रहालय या पार्क
रचनात्मक बनें:
कुछ आसान चित्र बनाएँ
अच्छा खाना बनाएँ
शॉर्ट स्टोरी लिखें
अपनी इंद्रियों को शांत रखें:
ध्यान या योग करें
गरम पानी से स्नान करें
अपना पसंदीदा गीत सुनें
आराम करें:
बादलों को देखें
किताब, पत्रिका या ब्लॉग पोस्ट पढ़ें
एक झपकी लें
यदि उपरोक्त सुझाव आपके लिए काम नहीं करता है तो, इसके अलावा भी कई चीजें हैं जो आप अभी कर सकते हैं.
इसके अलावा आप आत्महत्या संबंधी विचारों के निराकरण के बारे में और अधिक जान सकते हैं और स्थानीय स्वयं सुरक्षा विशेषज्ञ की मदद ले सकते हैं.
क्या यह जानकारी उपयोगी थी?
हाँ
नहीं

हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
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जय श्री खेतेश्वर दाता री सा

Saturday, 5 January 2019

संत श्री तुलसारामजी महाराज के 1से 38 चातुर्मासो के सभी जगहो के नाम और वर्ष

  श्री श्री १००८ संत श्री तुलसारामजी महाराज के 1981से 2018 तक 1 से 38 चातुर्मासो के वर्ष और जगह के नाम के साथ
श्री श्री १००८ संत  श्रीतुलसारामजी  महाराज के 1981से 2018 तक 1 से 38 चातुर्मासो के  वर्ष और जगह के नाम के साथ।।
1.     1981:- इन्द्राणा (तुलारामजी महाराज की जन्म भुमि)
2.     1982:- पिपलिया
3.     1983:-पिपलिया
4.     1984:-पिपलिया
5.     1985:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
6.     1986:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
7.     1987:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
8.     1988:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
9.     1989:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
10.   1990:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
11.   1991:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
12.   1992:-माऊण्ट आबु
13.   1993:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
14.   1994:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
15.   1995:-अकवाङा(odwada)
16.   1996:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
17.   1997:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
18.   1998:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
19.   1999:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
20.   2000:- द्वारकाधाम
21.   2001:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
22.   2002:- गुरु प्याऊ झूंझाड़ी नाड़ी मायलावास मवडी सिवाना
23.  2003:-नाशिक
24.  2004:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
25.   2005:-बद्रीधाम
  26.   2006:-रामेश्वर धाम
   27.   2007:-जगन्नाथ पुरी
28.   2008:-द्वारकाधाम
29.   2009:-पथमेङा गौधाम तीर्थ
30.   2010:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
31.   2011:-नेपाल देवगाट
32.   2012:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
33.   2013:- श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
34.   2014:-पुष्कर धाम
35.   2015:-नाशिक कुम्भ ( उज्जैन कुम्भ
36.   2016:-श्री आसोतरा मंदिर तीर्थ
37.   2017.बीजरोल खेङा(श्री श्री 1008 श्री खेतारामजी महाराज कि जन्म भुमि)
38.     2018 = .कोलायत बीकानेर
39.  2019= खेड़ जालोर
40.  2020= गुरु प्याऊ झुंझाड़ी नाड़ी मायलावास मवडी सिवाना

प्रस्तुत करता:- महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल
7621931486


हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा