एक समय पूरे भारत मे सबसे ज्यादा पूज्य भगवान #ब्रह्माजी ही थे, मां गायत्री ( = सावित्री ) इन्ही की पत्नी हैं.
देवता, मानव को तो छोड़िए दानव भी इन्ही की उपासना व तपस्या करते थे, किसी भी पुराण-इतिहास ग्रंथ को देख लीजिए सभी लोग केवल ब्रह्मा जी की ही उपासना करते मिल जाएंगे.
बड़े से बड़ा वरदान केवल इन्ही से मिलता था.
इनकी पूजा से सनातनियों को विमुख करके श्रीहीन करने के लिए सुनियोजित दुष्प्रचार व षड्यंत्र किया गया, शास्त्रों में फेर-बदल करवाई गई (मुस्लिम व ईसाई शासन काल मे) जिसके दुष्परिणाम अब सामने हैं.
जय जगतपिता ब्रह्मदेव
-------------------------------
प्रस्तुत है ब्रह्मा जी के वर्तमान विशिष्ट मंदिरों का वर्णन ब्राह्मण महेन्द्रसिंह राजपुरोहित मनणा जसोल के द्वारा -
भगवान ब्रह्माजी के 14 विशिष्ट मंदिर -
1. पुष्कर (अजमेर)
2. ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा (बाड़मेर)
3. कालंद्री (सिरोही)
4. बसंतगढ़ (सिरोही)
5. हाथल (सिरोही)
6. खेड़ा (जालोर)
7. सियाना (जालोर)
8. ढालोप (पाली)
9. छिंछ (बांसवाड़ा)
10.खेड़ ब्रह्म (साबरकांटा) ((गुजरात))
हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा
11.जखन लिमडी (सुरेन्द्रनगर)((गुजरात))
12. आदि ब्रह्मा मंदिर, खोखन (हिमाचल प्रदेश)
13.परब्रह्म मंदिर, ओचिरा(केरल)
14. पूरा उलामार कोइल ब्रह्मा मंदिर, तिरुचिरापल्ली
(तमिलनाडु)
भगवान ब्रह्मा जी पर पोस्ट लिखने का दो उद्देश्य थे :
१- भगवान ब्रह्मा की पूजा इस देश में होती रही है और उनके मन्दिर तथा मूर्तियां आज भी हैं।
२-उनकी पूजा की वैदिक तथा पौराणिक पद्धति क्या थी इस पर चर्चा हो।
काशी के आचार्य मृत्युंजय त्रिपाठी हैं ।
उनकी पुस्तक में भगवान ब्रह्मा के चारित्रिक दोष दिखलाए गए हैं। इसकी चर्चा कि दोष तो वृंदा और तुलसी को लेकर भगवान विष्णु में भी था। ऋषियों के शाप से भगवान शिव का लिंगच्छेद होना भी दोष ही था।फिर इनकी पूजा क्यों नहीं बन्द की गई?
भागवत महापुराण में ब्रह्मा जी की वाणी की पवित्रता, इन्द्रियों की अजेयता, मन की स्थिरता का वर्णन मिलता है।
।। न भारती मेंगमृषओपलक्ष्यते।।
भगवान ब्रह्मा के मंत्रों और प्रयोगों को ढूंढना तथा उनके सहयोग से यज्ञ विज्ञान को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
Wrriter=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
Website=Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com
YouTube=Allrrajpurohitsamaj
Instagram=Allrrajpurohitsamaj
Tiktok=Allrrajpurohitsamaj
Twitter=Mahendrasingh Rajpurohit Jasol
Facebook=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
Gmail=Mahendrasingh Rajpurohit Jasol
Cont.no.9510951660
।। ॐ ब्रह्मणे नमः ।।
देवता, मानव को तो छोड़िए दानव भी इन्ही की उपासना व तपस्या करते थे, किसी भी पुराण-इतिहास ग्रंथ को देख लीजिए सभी लोग केवल ब्रह्मा जी की ही उपासना करते मिल जाएंगे.
बड़े से बड़ा वरदान केवल इन्ही से मिलता था.
इनकी पूजा से सनातनियों को विमुख करके श्रीहीन करने के लिए सुनियोजित दुष्प्रचार व षड्यंत्र किया गया, शास्त्रों में फेर-बदल करवाई गई (मुस्लिम व ईसाई शासन काल मे) जिसके दुष्परिणाम अब सामने हैं.
जय जगतपिता ब्रह्मदेव
-------------------------------
प्रस्तुत है ब्रह्मा जी के वर्तमान विशिष्ट मंदिरों का वर्णन ब्राह्मण महेन्द्रसिंह राजपुरोहित मनणा जसोल के द्वारा -
भगवान ब्रह्माजी के 14 विशिष्ट मंदिर -
1. पुष्कर (अजमेर)
2. ब्रह्मधाम तीर्थ आसोतरा (बाड़मेर)
3. कालंद्री (सिरोही)
4. बसंतगढ़ (सिरोही)
5. हाथल (सिरोही)
6. खेड़ा (जालोर)
7. सियाना (जालोर)
8. ढालोप (पाली)
9. छिंछ (बांसवाड़ा)
10.खेड़ ब्रह्म (साबरकांटा) ((गुजरात))
हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा
11.जखन लिमडी (सुरेन्द्रनगर)((गुजरात))
12. आदि ब्रह्मा मंदिर, खोखन (हिमाचल प्रदेश)
13.परब्रह्म मंदिर, ओचिरा(केरल)
14. पूरा उलामार कोइल ब्रह्मा मंदिर, तिरुचिरापल्ली
(तमिलनाडु)
भगवान ब्रह्मा जी पर पोस्ट लिखने का दो उद्देश्य थे :
१- भगवान ब्रह्मा की पूजा इस देश में होती रही है और उनके मन्दिर तथा मूर्तियां आज भी हैं।
२-उनकी पूजा की वैदिक तथा पौराणिक पद्धति क्या थी इस पर चर्चा हो।
काशी के आचार्य मृत्युंजय त्रिपाठी हैं ।
उनकी पुस्तक में भगवान ब्रह्मा के चारित्रिक दोष दिखलाए गए हैं। इसकी चर्चा कि दोष तो वृंदा और तुलसी को लेकर भगवान विष्णु में भी था। ऋषियों के शाप से भगवान शिव का लिंगच्छेद होना भी दोष ही था।फिर इनकी पूजा क्यों नहीं बन्द की गई?
भागवत महापुराण में ब्रह्मा जी की वाणी की पवित्रता, इन्द्रियों की अजेयता, मन की स्थिरता का वर्णन मिलता है।
।। न भारती मेंगमृषओपलक्ष्यते।।
भगवान ब्रह्मा के मंत्रों और प्रयोगों को ढूंढना तथा उनके सहयोग से यज्ञ विज्ञान को बढ़ाना महत्त्वपूर्ण है।
Wrriter=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
Website=Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com
YouTube=Allrrajpurohitsamaj
Instagram=Allrrajpurohitsamaj
Tiktok=Allrrajpurohitsamaj
Twitter=Mahendrasingh Rajpurohit Jasol
Facebook=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
Gmail=Mahendrasingh Rajpurohit Jasol
Cont.no.9510951660
।। ॐ ब्रह्मणे नमः ।।
Jay Shri brahmaji ri sa hukm
ReplyDeleteJay shri kheteshwer data ri sa
खूब धन्यवाद हुकम
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हुक्म
Deleteजय श्री रघुनाथ जी री सा
जय श्री जगत पीता ब्रह्माजी री सा
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा हुक्म
खूब धन्यवाद हुकम
ReplyDeleteबहुत बहुत आभार हुक्म
Deleteजय श्री रघुनाथ जी री सा
जय श्री जगत पीता ब्रह्माजी री सा
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा हुक्म
7878270442
ReplyDeleteजी हुक्म जरूर सा हम आपसे जरूर संपर्क करेंगे सा
Deleteबहुत बहुत आभार हुक्म
जय श्री रघुनाथ जी री सा
जय श्री जगत पीता ब्रह्माजी री सा
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा हुक्म