Monday, 10 August 2020

राजपुरोहित का त्याग, समर्पण और कर्तव्य का इतिहास वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम: पुरोहिताम्

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता नम: जय श्री ब्रह्मदेव नम:

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ:!
निर्वीग्नम कुरूमेदेव सर्वकार्येशु सर्वदा:!!

मित्रों आज में आपके सामने राजपुरोहितों का त्याग  समर्पण और कर्तव्य निष्ठ राजपुरोहित का इतिहास लेके आया हूं सा 
आपको अगर अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखें।

राजपुरोहितों का त्याग का इतिहास
(History of Rajpurohit)

जय श्री रघुनाथ जी री सा
*वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम् पुरोहिताम्:* का सही अर्थ= मेरी जाती का निर्धारण प्रकृति ने किया है , इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है। राजपुरोहित केवल किसी जाति में जन्म लेने से नहीं बना जाता।
प्राचीन यजुर्वेद में एक पुरोहित के बारे मैं वाक्य कहा गया है। 
*वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिता:*
अथार्त 
हम राष्ट्र को जाग्रत करने वाले पुरोहित है।
*पुरोधा प्रथम श्रेष्ठ, सर्वभ्यो राजा राष्ट्र भक्त।*
*आदू धर्म राज पुरोहितां, रणजग्य अरूं राजनित।।*
 *अस्त्र शस्त्र जुध सिख्या,राज धर्म राजप्रोहित।*
*धर्मत: राजनीतिज्ञ:, षोड्स कर्मे धुरन्धर:।।* 
*सर्व राष्ट्र हितोवक्ता, सोच्यते राजपुरोहित:।।*
*मंत्रानुष्ठान संपन्न, स्त्रीविद्या कर्म तत्पर:।*
 *जितेन्द्रियों जीतक्रोधो,लोभ मोह विज्यते:।।*
*षडंग वित्सांग,धनुर्वेद विचारार्थ धर्मवित:।*
*यत्कोप भीत्या राजर्षि, धर्मनिती रतो भवते:।।*
 *नीति शास्त्रास्त्र,व्यूहादी कुशलस्तु (राज) पुरोहित:।*
*सेवाचार्य पुरोधाय,शायानुग्रहों क्षम:।।*
*धर्मज्ञ राजनीतिज्ञ, शोड़ष कर्म्मधुरन्धर:।*
*सर्वराष्ट्र हितोवक्ता, सोच्यते राजपुरोहित:।।*
*वेद वेदांग तत्वज्ञो, जय होम परायन:।*
*क्षमा शुभ वचायुक्त, एवम् राजपुरोहित:।।*
उपयुक्त श्लोकों में कहा गया है।
*जो राष्ट्र भक्त हो*
*जो रणभूमि से लेकर राजनीति का भान रखता हो,*
*जिसे अस्त्र शस्त्र का ध्यान हो,*
*जो धर्मज्ञ हो, जिसे वैदिक कर्मो का ध्यान हो,*
*जो जितेन्द्रिय हो,जिसने लोभ - मोह पर विजय श्री प्राप्त की हो,*
*जो नीति शास्त्र का ज्ञाता हो,*
*जो सर्व राष्ट्र हित का सोचता हो,*
*जो शुभ कर्मो का संवाहक हो,*
*सही मायनों में वह ही राजपुरोहित है।*
*यद्यपी आज वैदिक काल से समस्त समाजिक संरचनाओ में अनेक परिवर्तन हुए हैं।*
*केवल इतिहास की बांसुरी बजाकर कोई संसार में अपने होने कि महत्ता नहीं बता सकता।*
*साथ ही समाजिक बंधुओ से अपील है कि आज तलवार की महत्ता नहीं बची है।*
*हा, ऐतिहासिक दृष्टि  से आप  अपने पुरखों के त्याग और संघर्ष से प्रेरणा ले,*
*और उसे अपनी आधुनिक तलवार बनाईए।*
*साथ ही कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा मत पालिए।*
*केवल और केवल राष्ट्र का सोचे,* *सनातन का सोचे, अतीत में भी त्याग ही लिखा था।* *और प्रारब्ध में भी सायद त्याग ही है।* 
*ईदम् राष्ट्राय, ईदम्  ना मम् स्वाहा:।* 
*सूक्त को मन में धारे हुए राष्ट्र के कल्याण कीजिए आकांशा का स्वपन लिए आगे बढ़े।*
*साथ ही सबसे अपील है कि व्यक्ति को उसके गुण - अवगुण से आंकिए,*
 *ना कि जातिय दम्भ से,*
*हमारा सबका अतित उज्जवल है*
*Voice &Video editing=Jigneshsinghji Rajpurohit (Badwa)*
*Sandrabh=Vikramsinghji rajpurohit (leta)*
*Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल*
*07621931486*
Website=(Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)
जय श्री रघुनाथ जी री सा
*जय श्री महर्षी परशुराम जी री सा*
*जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा*
जय श्री ब्रह्मदेव नम:

3 comments:

  1. जय श्री रघुनाथजी री सा
    जय श्री महर्षि गौतम ऋषि री सा
    जय श्री महर्षि परशुराम जी री सा
    जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा
    जय श्री गुरुदेव जी तुलसा रामजी महाराज जी री सा
    जय श्री ब्रह्मदेव नम:

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