Wednesday, 19 August 2020

मनणा राजपुरोहितों का इतिहास (History of Manna Rajpurohit)

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता नम: जय श्री ब्रह्मदेव नम:


वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ:!
निर्विघ्नम् कुरूमेदेव सर्वकार्येशु सर्वदा:!!
 
 

मित्रों आज में आपके समक्ष मनणा राजपुरोहितों का गौरवशाली इतिहास लेके आया हूं सा अगर आपको समाज की जानकारी अच्छी लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखें और follower join जरूर करें सा।
जय श्री रघुनाथ जी री सा
 

*सप्तऋषिओ में से एक गौतम ऋषि के वंशज मनणा राजपुरोहितों का गौरवशाली इतिहास*
*(History of saptrishi's one Goutam rishi vanshaj Manna Rajpurohit)
 

*गौतम ऋषि गौत्री: मनणा*
(Manna Goutri of Goutam rishi)

जय श्री रघुनाथ जी री सा
 सप्तऋषियों में से एक गौतम ऋषि है। आम न्यायदर्शन के आचार्य कहलाते हैं, न्याय दर्शन आपकी ही देन हैं। इनके नाम से गौतम - स्मृति भी हैं। इन्हीं का वंश मनणा पुरोहित हैं। इनके अनेक स्थानों पर आश्रम हैं। आबू पर्वत पर भी आश्रम हैं। आपकी धर्मपत्नी सरूपा देवी महर्षि मरीचि की पुत्री  थी। इनके दस ईश्वर रूपी पुत्र थे।
जालौर जिले के देवकी, मालगढ़, गुढ़ा, बालोतान, जाजूसन, किलुपिया, सिराणा, (महियाल) गांवों में रहते हैं। 
(Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)
बाड़मेर जिले में मनणावास, पड़ा, सिणधरी, बिलासर, वालेरा, पादरू गांव का इंटवाया कुंआ, गुड़ानाल , कुण्डल, मोड़ाव, रानी दसीपुरा, आसोतरा, पाटोदी, काकरला, पटाऊ, सरवड़ी, कालुड़ी, जसोल - (मनणावास, नवड़ीया बेरा) में रहते हैं।
पाली जिले के ईन्द्रवाड़ा, वरकाणा, रड़ावास, गुड़ा जैतसिंह, हिंगोला खुर्द, सांडीया, विरावास, वागड़ीया, मणीहारी, खुंटाणी, सोड़ा गांवों में रहते हैं।
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जोधपुर जिले के बासनी मनणा, भूंगरा (माहियाल), बामणु खुर्द, बामणु, नारनाड़ी, झंवर, मोड़ी जोशिया, थोब जोधपुर शहर में रहते हैं।
 बीकानेर शहर एवं पकेली गांव में महीयाल रहते हैं।
चूरू जिले के सुवाई बड़ी एवं तोलियासर में भी रहते हैं।
नागौर जिले के बखेर एवं शिव गांवों में रहते हैं।
*History Page= Mahendrasingh Rajputohit Moolrajot*
*9840654779*
*History Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंहजी राजपुरोहित मनणा जसोल* 
*7621931486*
*Website= (Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)*


(२.)
 

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता जय श्री ब्रह्मदेव नम:

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ:!
निर्विग्नम् कुरूमेदेव सर्वकार्येशू सर्वदा:!!

 

*मनणा राजपुरोहितों का संक्षिप्त इतिहास*
*(History of Sort Manna Rajpurohit)*

जय श्री रघुनाथ जी री सा
मनणा जाति की कुलदेवी - चामुण्‍डा (जोगमाया) है।
इनके पूर्वज गोयल राजपूत का गुरू था किसी कारण वंश पिरोयतों में मिल गये । इनके शासन गांव मनणों की बासणी सरबड़ी का बास कालोड़ी, सरवड़ी, जसोल - (मनणावास, नवड़ीया बेरा) है।
*History Page=Mahendrasinghji Rajpurohit Moolrajot*
*9840654779*
*History Wrriter= महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल*
*7621931486*
*(Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)*

 

राजपुरोहित समाज के सभी बंधुओं को जय श्री रघुनाथजी री,
जय ब्रह्माजी री, जय दाता री सा! 

 आपका महेन्द्रसिंह जसोल ऑलराजपुरोहित (सदस्य) 
   
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जय श्री महर्षि गौतम ऋषि री सा
जय श्री महर्षी परशुराम जी री सा
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा
जय श्री ब्रह्मदेव नम:

Tuesday, 18 August 2020

दुदावत राजपुरोहितों का इतिहास(पाली राज्य का इतिहास)History of Dudawat Rajpurohit (History of Pali State)

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता नम: जय श्री ब्रह्मदेव नम:

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ:!
निर्विग्नम् कुरूमेदेव सर्वकार्येशु सर्वदा:!!


मित्रों में आपको आज दुदावत राजपुरोहितों का इतिहास बता रहा हूं सा आपको अगर अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे।

(१.)

*दुदावत राजपुरोहितों का गौरवशाली इतिहास*
(*History of Dudawat Rajpurohit page no.98.*)


 *पाली राज्य का इतिहास*
(History of Pali state)

(जय श्री रघुनाथ जी री सा)
...; सांचौर परगने का गांव अरकाय पूर्व में उनकी जागीर में था, जहां उनके द्वारा निर्मित आम जन के लिए पानी पीने हेतु निर्माण करवाया गया कुंआ आज भी विद्यमान हैं।
किसी कारण वश में उस स्थान को छोड़कर (तिरस्कार कर) श्रीमालनगर (भीनमाल) आ गए, और अपने वंशजों को भी वहां नहीं जाने का परामर्श दिया अथार्थ उस स्थान को वर्जित स्थान *काला गांव* करार दिया।
जब युवा दूदाजी की विद्वता, युद्ध कौशल, घोड़ों की पारखी (इस विद्या ने निपुणता) होने की ख्याति दूर - दूर तक फैली तो कुछ पंडित श्रीमालियो को ईर्ष्या होने लगी।
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 एक बार दूदाजी को मेवाड़ के राणा मोकलजी के निमंत्रण पर वहां जाना पड़ा और अश्वविद्या की विशेष जानकारी वहां देने पर उन्हें पारितोषिक स्वरूप घोड़े भी भेंट किए गए,उनको लेकर वे घर लौटे।
ईर्ष्या वश तब यहां के ब्राह्मण - पण्डितो ने उन पर घोड़े चुराकर लाने का आरोप लगा दिया और ऐसी विद्या और कार्य को पंडितो के प्रतिकूल करार देकर उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया।
इस पर दूदाजी ने अपनी शुर वीरता का परिचय देते हुए भीनमाल (श्रीमालनगर) के lआसपास की बहुत बड़ी जागीर अपनी शक्ति के बल  पर हठिया लिया और आसपास लोगो - क्षत्रपों ने उन्हे पुरोहित (राजपुरोहित) करार दे दिया।
उन्हीं दिनों उनकी राजनैतिक शक्ति देखकर एक बार पालनपुर राज्य के दीवान की सेना जब उनके पास से जालोर पर आक्रमण करने जा रही थी तो दूदाजी ने उन्हें विश्राम और भोजन आदि करने का निमंत्रण दे दिया। सेनापति ने यह निमंत्रण स्वीकार कर लिया,इससे दुदाजी की मान्यता एवं राजनैतिक शक्ति और भी बढ़ गई।
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दूदाजी के पुत्रों ने भीनमाल नगर के पास ही अपने जागीर के गांव बसा दिए जिनमें रूपजी ने रोपसी ,आलजी ने आलड़ी,सांवलाजी ने सांवलावास, कोडाजी ने कोडी, खांडाजी ने खांडा देवल,कलाजी ने कारलू, मनाजी ने मनोहरजी का वास सांगाजी का माविधर  रहे।
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एक प्रसंग में सांगा (दूदाजी के अति साहसी पुत्र) के जोधपुर की सेना के प्रशिक्षण सिविर के पास से जाना हुआ। सांगा जी को ये ज्ञान नहीं था कि इस क्षेत्र से गुजरना वर्जित है। इस पर जब परिचय स्वरूप दूदाजी पुरोहित का पुत्र होना बताया तो वस्तूतः उद्यांटता की सजा के  निमित परन्तु सामान्यतया अपने वीर पिता दुदा के पुत्र की परीक्षा के नाते सांगा को महाराजा जोधपुर के हाथी से लड़वाया गया। अपनी तीक्षण बुद्धि से हाथी की सूंड पर चढ़ कर मुष्ठिका से हाथी के मस्तिष्क में चोट पहुंचाकर हाथी को गिरा दिया तब जोधपुर महाराज ने वीरता से प्रसन्न होकर पुरस्कार स्वरूप सांगरिया की जागीर प्रदान की। बाद में यथोचित सेवा देने पर  स्थान की जागीर दी जिसे सांगा ने दूदा जी का वाड़ा का नाम दिया। 
(अजित, रेल्वे स्टेशन, आज भी उसकी सरहद में स्थित है!)
*History page= Mahendrasinghji Moolrajot Rajpurohit*
*9840654779*
*History Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल*
*7621931486*
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(२.)

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता जय श्री ब्रह्मदेव नम:

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*दुदावत राजपुरोहितों का गौरवशाली इतिहास*
(*History of Dudawat Rajpurohit*)

*पाली राज्य का इतिहास*
(History of Pali state)

*पालीवाल - राजपुरोहित: गौत्र एवं वंशावली*
(History of Gotra & Vanshavali Palival Rajpurohit)

(जय श्री रघुनाथ जी री सा)
...; क्योंकि जोधपुर रेल्वे स्टेशन बनने पर पोकरण के चंपावत  राठौड़ों की जागीर में अजित था और पोकरण ठिकाना बड़ा था। दूदाजी का परिवार अब राजसत्ता से दूर था। इसका अन्य उदाहरण मोकलसर रेल्वे स्टेशन है,जो मायलावास सोढ़ा राजपुरोहितों की जागीर का गांव है उसकी सरहद में बना हुआ हैं परन्तु मोकलसर (बालावत) राठौड़ों के पाटवी जागीर होने से रेल्वे स्टेशन का नाम मायलावास पुरोहितान न होकर मोकलसर है। ऐसा ही उदाहरण बाकरा रोड़ रेल्वे स्टेशन है जो मडगांव की सरहद में बना हुआ हैं परन्तु चंपावत राठौड़ों का बड़ा ठिकाना बाकरा नजदीक होने से बाकरा रोड़ नाम रखा गया था। दुदाजी की संताने आगे कुंवारडा, आराबा आदि स्थानों पर है।
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यह भी कहा जाता है उनके तीन  विवाह हुए थे और कुल 15 संताने थी। एक विवाह पालीवाल (गुंदेचा) मादा के जागीरदार की विदुषी पुत्री से हुआ था जो उनके कुलदेव मंगलेश्वर महादेव की उपासिका थी और विवाह के बाद दूदाजी के घर अपने ससुराल आते समय मंगलेश्वर की मूर्ति भी साथ लेकर आई थी तथा अलग से बस्ती बनाई गई थीं जो रूपनगर कहलाता था जो बाद में उनके पुत्र रूपा के नाम से रोपसी (रूपश्री) कहलाता हैं। यहां भी मंगलेश्वर महादेव की स्थापना की गई जो आज भी गुंदेश्वर महादेव के नाम से जाना जाता है क्योंकि रूपजी की माता गुंदेचा (पालीवाल) गौत्र की थी।
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इस प्रकार वीर दूदाजी का पालीवाल से संबंध बना है। जबकि मारवाड़ राज्य की मर्दुमशुमारी (जनगणना) जो सन 1891 में  हुई थी उसमें पुरोहित राजपुरोहितो का अपुष्ट, असंयमित एवं भ्रामक व त्रूटीपूर्ण उल्लेख हुआ है।उसमें दूधा  पिरायत संख्या - 9 पर दूदाजी का वर्णन उचित नहीं है। इस विवरण में दुदावतो की खांपे जो 17 बताई है उसमे संखवालचा, रायथला, पोदरवाल, रूदवा, केदारिया, व्यास बताया है जो प्रमाणिक नहीं लगती।
*History page= Mahendrasinghji Moolrajot Rajpurohit*
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(३.)

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता जय श्री ब्रह्मदेव नम:

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*दुदावत राजपुरोहितों का गौरवशाली इतिहास*
(History of Dudawat Rajpurohit)


*पाली राज्य का इतिहास*
(History of Pali state)

*वीर दूदाजी (दुदावतो के प्रथम पुरुष) एवं दुदावत पुरोहित:*
(History of Veer Dudaji (Dudawat of First men) & Dudawat Purohit)

(जय श्री रघुनाथ जी री सा)
श्रीमालनगर (भीनमाल) की स्थापना और वहां के रहने वाले शासक ब्राह्मण परिवारों को श्रीमाली ब्राह्मण नाम से संबोधन मिला जिसका सम्पूर्ण विस्तृत विवरण श्रीमालपुराण में भली - भांति दिया गया है।
उन्हीं प्रसिद्ध श्रीमाली ब्राह्मणों के एक अगुआ विद्वान पण्डित केशरदेव थे। उनके एकमात्र पुत्री भाग्यवंती देवी का जन्म होने पर बहुत खुशी मनाई गई थी। पण्डित केशरदेव हनुमान भक्त थे एवं ज्ञानदान - विद्यादान में ज्यादा रुचि रखते थे। अपनी भक्ति हनुमान जी के प्रति होने से गृहस्थ में समय कम ही बिताते थे।
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 परिवार में इस विद्वान  के आगे कुल (वंश) वाहक पुत्र नहीं होने से पुत्री भाग्यवंती एवं उसकी माता पंडिताइन (पं.केशरदेव की पत्नी) ने शिवोपासना (दुदेश्वर महादेव की भक्ति) कर वंशवृद्धि हेतु याचना की जिससे वृधावस्था में भी एक देदीप्यमान पुत्र पैदा हुआ जो इतिहास में वीर दूदाजी के नाम से प्रसिद्ध योद्धा हुआ ,साथ ही अनेक विद्याओं का ज्ञाता भी हुआ। एक हाथ में वेद और दूसरे हाथ में शस्त्र के धारक दूदा के वंशज दुदावत पुरोहित कहलाते है।पण्डित केसवदेव का विवाह जुंजाणी भीनमाल क्षेत्र के राजपुरोहित परिवार में हुआ था।
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दूदा जब एक वर्ष से भी कम उम्र का था,उसके पिता केशवदेव देवलोक गमन कर गए। बड़ी श्रद्धा एवं लगन से धर्म परायण माता ने इस बालक का पालन - पोषण कर योग्य बनाया। पण्डित केशरदेव के पिता.दादा भी शास्त्र एवं वेदों के परम ज्ञाता थे।
*History page= Mahendrasinghji Moolrajot Rajpurohit*
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*History Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल*
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*Website=(Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)*
जय श्री रघुनाथ जी री सा
जय श्री महर्षि परशुराम जी री सा
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा
जय श्री ब्रह्मदेव नम:

Monday, 10 August 2020

राजपुरोहित का त्याग, समर्पण और कर्तव्य का इतिहास वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम: पुरोहिताम्

जय श्री गणेशाय नमः जय श्री जोगमाया मां जय श्री चामुण्डा मां जय श्री खेतेश्वर दाता नम: जय श्री ब्रह्मदेव नम:

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटिसमप्रभ:!
निर्वीग्नम कुरूमेदेव सर्वकार्येशु सर्वदा:!!

मित्रों आज में आपके सामने राजपुरोहितों का त्याग  समर्पण और कर्तव्य निष्ठ राजपुरोहित का इतिहास लेके आया हूं सा 
आपको अगर अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखें।

राजपुरोहितों का त्याग का इतिहास
(History of Rajpurohit)

जय श्री रघुनाथ जी री सा
*वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम् पुरोहिताम्:* का सही अर्थ= मेरी जाती का निर्धारण प्रकृति ने किया है , इसमें मेरा कोई योगदान नहीं है। राजपुरोहित केवल किसी जाति में जन्म लेने से नहीं बना जाता।
प्राचीन यजुर्वेद में एक पुरोहित के बारे मैं वाक्य कहा गया है। 
*वयम् राष्ट्रे जाग्रयाम पुरोहिता:*
अथार्त 
हम राष्ट्र को जाग्रत करने वाले पुरोहित है।
*पुरोधा प्रथम श्रेष्ठ, सर्वभ्यो राजा राष्ट्र भक्त।*
*आदू धर्म राज पुरोहितां, रणजग्य अरूं राजनित।।*
 *अस्त्र शस्त्र जुध सिख्या,राज धर्म राजप्रोहित।*
*धर्मत: राजनीतिज्ञ:, षोड्स कर्मे धुरन्धर:।।* 
*सर्व राष्ट्र हितोवक्ता, सोच्यते राजपुरोहित:।।*
*मंत्रानुष्ठान संपन्न, स्त्रीविद्या कर्म तत्पर:।*
 *जितेन्द्रियों जीतक्रोधो,लोभ मोह विज्यते:।।*
*षडंग वित्सांग,धनुर्वेद विचारार्थ धर्मवित:।*
*यत्कोप भीत्या राजर्षि, धर्मनिती रतो भवते:।।*
 *नीति शास्त्रास्त्र,व्यूहादी कुशलस्तु (राज) पुरोहित:।*
*सेवाचार्य पुरोधाय,शायानुग्रहों क्षम:।।*
*धर्मज्ञ राजनीतिज्ञ, शोड़ष कर्म्मधुरन्धर:।*
*सर्वराष्ट्र हितोवक्ता, सोच्यते राजपुरोहित:।।*
*वेद वेदांग तत्वज्ञो, जय होम परायन:।*
*क्षमा शुभ वचायुक्त, एवम् राजपुरोहित:।।*
उपयुक्त श्लोकों में कहा गया है।
*जो राष्ट्र भक्त हो*
*जो रणभूमि से लेकर राजनीति का भान रखता हो,*
*जिसे अस्त्र शस्त्र का ध्यान हो,*
*जो धर्मज्ञ हो, जिसे वैदिक कर्मो का ध्यान हो,*
*जो जितेन्द्रिय हो,जिसने लोभ - मोह पर विजय श्री प्राप्त की हो,*
*जो नीति शास्त्र का ज्ञाता हो,*
*जो सर्व राष्ट्र हित का सोचता हो,*
*जो शुभ कर्मो का संवाहक हो,*
*सही मायनों में वह ही राजपुरोहित है।*
*यद्यपी आज वैदिक काल से समस्त समाजिक संरचनाओ में अनेक परिवर्तन हुए हैं।*
*केवल इतिहास की बांसुरी बजाकर कोई संसार में अपने होने कि महत्ता नहीं बता सकता।*
*साथ ही समाजिक बंधुओ से अपील है कि आज तलवार की महत्ता नहीं बची है।*
*हा, ऐतिहासिक दृष्टि  से आप  अपने पुरखों के त्याग और संघर्ष से प्रेरणा ले,*
*और उसे अपनी आधुनिक तलवार बनाईए।*
*साथ ही कोई राजनीतिक महत्वकांक्षा मत पालिए।*
*केवल और केवल राष्ट्र का सोचे,* *सनातन का सोचे, अतीत में भी त्याग ही लिखा था।* *और प्रारब्ध में भी सायद त्याग ही है।* 
*ईदम् राष्ट्राय, ईदम्  ना मम् स्वाहा:।* 
*सूक्त को मन में धारे हुए राष्ट्र के कल्याण कीजिए आकांशा का स्वपन लिए आगे बढ़े।*
*साथ ही सबसे अपील है कि व्यक्ति को उसके गुण - अवगुण से आंकिए,*
 *ना कि जातिय दम्भ से,*
*हमारा सबका अतित उज्जवल है*
*Voice &Video editing=Jigneshsinghji Rajpurohit (Badwa)*
*Sandrabh=Vikramsinghji rajpurohit (leta)*
*Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू महेन्द्रसिंह $ मंगलसिंह जी राजपुरोहित मनणा जसोल*
*07621931486*
Website=(Allrrajpurohitsamaj.blogspot.com)
जय श्री रघुनाथ जी री सा
*जय श्री महर्षी परशुराम जी री सा*
*जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा*
जय श्री ब्रह्मदेव नम:

Saturday, 1 August 2020

राजपुरोहित समाज ब्राह्मणों का त्याग और बलिदान का सबसे स्पष्ट और पॉवरफुल इतिहास History Of Brahman Rajpurohit Samaj

*राजपुरोहित समाज ब्राह्मणों का त्याग और बलिदान का सबसे स्पष्ट और पॉवरफुल इतिहास*
*एक बार जरूर पूरा पढ़े*
*और ज्यादा से ज्यादा शेयर करें मित्रों*

*Hostory Of Brahman Rajpurohit Samaj=* में अगर अपना प्रमाण पत्र देखू, तो उसमे राजपुरोहित लिखा गया है। यधपि मारवाड़ आंचल के भाग इस वर्ग के  बारे में कम लोग ही जानते हैं। तो में आपको इस वर्ग का ऐतिहासिक परिपेक्ष में जाकर जानकारी देना चाहता हूं। यधपी जिस वर्ग मे में जन्मा हूं, तो बताता हूं, हां मे राजपुरोहित हूं। ब्राह्मण वर्ग में जन्म लिया। युद्ध जैसे क्षत्रीयोशित कर्म भी किए। एक अनोखी जाती हूं, जिसमें ब्राह्मण के गुण और क्षत्रियों के कर्म दोनों स्थापित हैं।
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खान-पान में मांस -मदिरा से सदा दूर रहता हूं, पर मारवाड़ में ऐसा कोई युद्ध नहीं लड़ा गया, जिसमें मेरी सहभागीता नहीं रही हो, गांव-गांव में प्यारे मारवाड़ के लिए लड़ा-कटा, मरा में, कभी गौ माता की रक्षा के लिए कभी नारी के सम्मान के लिए, शायद ही ऐसा कोई गांव हो जिसमे मेने मामाजी और सती के रूप में सत्य एवं न्याय कि रक्षा के हेतू, अपने प्राणों सर्ग ना किए हो, में कभी राजा तो नहीं रहा, लेकिन राठौड़ सता जोधपुर में स्थापित हुई, उसमे मेरा योगदान रहा है। जो आज भी स्वर्णीम अक्षरों में अंकीत है। राठौड़ो के आदीपुरूष राव सिंहजी के साथ राजपुरोहित देवपालजी बनकर आया। जिसका राठौड़ सता स्थापन में योगदान रहा। कभी प्रतापसिंह बनकर गिरी सुमेल के युद्ध में अप्रतीम सोर्य दिखाकर राव मालदेव का माथा ऊंचा किया। कभी दलपत सिंह बनकर धर्मत का युद्ध ओरंगजेब के खिलाफ लड़ा, जिस प्रकार में लड़ा उसको याद करके तत्कालीन महाराज जसवंतसिंह जी भी फुट-फुट कर रोए। कभी केसरसिंह बनके अहमदाबाद युद्ध में मारवाड़ की ओर से लड़ते हुए महाराज अभयसिंहजी को विजय श्री दिलवाई। कभी गुमानसिंह बनकर राजा मानसिंह के प्राण बचाएं। उन पर चले वार को  खुद के उपर लेकर प्राण त्याग दिए, लेकिन मारवाड़ का मान कायम रखा।  कभी बीकानेर में वीर जगराम जी बनकर बीकानेर की रक्षा की।
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इसके बाद वहां के राज परिवार का विवाह मेरे आशीर्वाद लेकर ही  संपन्न होता है। वैदिक काल की बात करे, तो मैने ब्रह्मवंशी दधीचि बनकर संसार की रक्षा हेतु अपनी हड्डियां तक दान दे दी। कभी परशुराम बनकर आतितायो का संगार किया। और अहंकार में मधमय में क्षुर राज वंशियो को मर्यादा का भान कराया। कभी द्रोणा बनकर पांडवो को धर्म की  स्थापना के लिए शिक्षित किया। फिर हजारों साल तक निर्धन रहा। भूखा -प्यासा रहा लेकिन सनातन की रक्षा के लिए वेदपुराण गा-गा कर सुनाता रहा,पर धर्म को जिवित रखा। फिर मध्यकाल के कालखंड में मेने चाणक्य बनकर अहंकार में डूबे धनानंद को पद चिद्घित कर चन्द्रगुप्त जैसे बालक को पदाचित किया।
और तभी मेरी सीखा खुली।
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सरक संहिता और सूचुक संहिता जैसी पुस्तके मेने लोक कल्याण हेतु रची। जब मेरा इतिहास देखोगे, तो केवल और केवल त्याग दिखेगा। पाली की रक्षा हेतु पालीवाल बनकर लड़ा- मरा में पर स्वाभिमान पर आंच न आने दी। कभी अन्याय के विरूद्ध मैने एक क्षण में कुलधरा के 84 गांव त्याग दिए थे। मेने अपने मारवाड़ के प्रति कभी द्रोह नहीं किया, गद्दारी नहीं की। अभी भी आश्यकता आन पड़ी, तो में प्राण तक देने के लिए तत्पर रहूंगा। मेरे खून में केवल त्याग और त्याग है।
*जय जय श्री परशुराम जी री सा*
*जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा*
*Audio,video= Vikramsinghji Rajpurohit leta &*
*Wrriter= ब्राह्मण हिन्दू* *महेन्द्रसिंह राजपुरोहित मनणा जसोल*
*7621931486*
*जय जय श्री परशुराम जी महाराज जी री सा*
*जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा*




हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय जय श्री परशुराम जी महाराज जी री सा
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा

Monday, 27 July 2020

राजपुरोहित समाज के सेवड़ गौत्र का इतिहास


श्री गणेशाय नम : श्री नागणेची माता नम :
श्री बीसभूजा माता नम : श्री खेतेश्वर नम

राजपुरोहित समाज के सेवड़ गौत्र का इतिहास
_____________________________________________
मित्रो मैं महेन्द्रसिंह मूलराजोत ढ़ण्ढ़ोरा आज मैं सम्पूर्ण सेवड़ो का
वंश वृक्ष चाट बनाने जा रहा हूँ ,मैं पूरी कोशिश  करूँगा की कोई
गाँव नहीं छूटे अगर  किसी गाँव का नाम न आये तो आप जरूर
 बताये ओर किसी के पास अधिक जानकारी विस्तार मे है तो
जरूर बताये , बीती से अन्य गाँव मे बसने वाले सेवड़ो की
जानकारी किसी के पास है तो भेज देवे , बाहड जी के वंशज
भी अपनी जानकारी भेजे , बिकानेर मे विका /बिका जी के सभी
गांवो की जानकारी विस्तार मे भेजे ओर बिका जी के वंशजो के
अलावा भी  सेवड़ है  तो बताये , मध्यप्रदेश ,गुजरात ओर महाराष्ट्र
मे गये ओर वही बसे हुये सेवड़ जिनके गाँव  थे  वे अपनी  मारवाड़ की
पीढ़ी  ओर गाँव  बताये , किसी के गाँव नहीं है  ओर 12_18 पीढ़ी
से रह रहे है तो वे भी अपना मूल गाँव बताये , मेवाड  मे  बसे  हूए
सेवड़ वहा के अपने जागीर गाँव ओर वंश चाट की जानकारी भेजे
, कुछ  सेवड़ पाकिस्तान मे भी  थे  उनकी  जानकारी  किसी के पास
हो  तो भेजे  ,  9840654779 पर  आप  मुझसे  सम्पर्क  कर  सकते हो धन्यवाद ,
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                              शिवऋषि जी
सभी सेवड़ इनके वंशज है ,इनके नाम  से ही  सेवड़ कहलाते है ,इनके
नाम शिव जी से शिवड़ कहलाने लगे  समय के साथ शिवड़ शब्द से सेवड़ मे
बदल गया है विक्रमी संवत  1223-24 मे कन्नोज के राजा जयचन्द राठौर ने इनको अपना राज पुरोहित ओर कुलगुरू बनाया  ओर गढ  गोविन्दाणा मे 40 गाँव शासन दिये थे , शिवऋषि बहुत  ही उच्चस्तर के
ऋषि थे   लोग इनका आर्शिवाद  लेने  बहुत  दूर  से आते थे क्यूकी  ऋषि का आर्शिवाद ओर वचन सत्य साबित होते थे  शिव ऋषि  सबके
मन  की  ईच्छा अपने आप जान जाते थे ,इसी खास खूबी को परखने
कुंवर जयचन्द कन्नोज से बदायूँ शिव ऋषि के पास आया ओर  ऋषि ने
उनके  मन  की  बात  बता दी ओर आर्शिवाद दिया  की आप  जिस  राज्य  को जीतने  की  ईच्छा  है  जावो  चढ़ाई करो  उस  पर  विजय  श्री  आपका  इंतजार  कर  रही  ओर जय  चन्द  ने  वैसा  ही  किया  ओर जीत  गये , इसीलिय  जयचन्द ने  ऋषि  को  अपना  कुलगुरू  ओर राज पुरोहित  बनाया , शिव  ऋषि  श्री गौड़ ब्राह्मण थे  भारद्वाज  गौत्र  है  ओर  सेवड़  कोई  जात  या  गोत्र  नहीं  है  सिर्फ  व्यक्ती  विशेष  के  वंशज है  एक  परिवार  है  शिव  ऋषि  का
                           शिव ऋषि जी
                           महेपासवर जी
                           देवपसावर जी
                            विठ्ठलदास जी
_____1____________2___________
विठ्ठलदास जी            जसोजी
     |                         आप सियो जी ओर देवपाल देव
                             जी के साथ  मे आये ओर गुजरात
     |                         मे सियो जी ओर भाटियो  के बीच
                             युद्ध मे शहीद हूये कोई वंशज
     |                     मारवाड़ मे नहीं है
__1__________________________2____________
    देवपाल देव जी                    नगराज जी
 1272 विक्रम स .                   आप 1332 वि .स . मे राव
मे सियो जी के साथ आये           सिया जी के पुत्र आस्थान जी के                                           
मै इनका इतिहास इस पोस्ट       खेड पर कब्जा करते  समय 115
मे नही लिख सकता  क्यूकी         वीरो के  साथ शहीद हूए
बहुत  विशाल  है मेने 4-5 पेज
लिखे है जो मेरे पास है
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                  देवपुरूष  देवपाल देवजी  सेवड़
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देवपसाव जी              पनपसाव  जी / कमल जी
                                आप आस्थानजी राठौड  के
         |                      साथ पाली  मे शहीद  हूए
         |                       धोला  चौतरा  इनकी  याद
         |                        मे  बनाया  गया  लेकिन  लोग
         |                         गलती  से  मानते  नहीं है मेने
                                 इनके  बारे  मे पोस्ट  की  थी
         |                        य़सोधर ( जस्सा ) जी  इनके
                                  नाना  जी  थे  जिनकी  सहायता
          |                       करने  गये  थे  फिरोज शाह  ने
                                   हमला  किया  था  पाली  पर  तब
           |                      इनके  वंशज नहीं  है 
______|______________________________
              पन्नेराज  जी / पुल  जी
               बिलपाल जी
आप  राव  धुहड़  जी  ओर पुरोहित  पीथड़  जी  सोढ़ा
के साथ  शहीद हूए
                  बेमण् जी / बीमल  जी
                      बसंत जी सेवड़
_______1____________.________2___
       बीजड़ जी                          बाहड़ जी
_____1________2_               राजड़ जी
हरपाल जी    धारायत जी          कुक्कड़ जी
     |               कानोडिया          कोलु ,सांकडिया
     |               से बहुत              भामटसर  ओर 2-3
     |               लोग अन्य             गाँव हो सकते  है
     |          गाँवो मे बसे
     |
___|1__________2________3__________4____
देदो जी          छेल जी        सादो जी       रूपायत जी
बावडी बड़ी    पीपड         बडली            सुरायता
बावडी छोटी                    इनके
बाडा                             वंशज है
ओसियां                        या नहीं ?
का बड़ा
वास
                     ____ ___5________
                           रुद्रा जी  हरपालोत 
__1__________2____________3__________4___
खिन्दा जी      खीडा  जी         काना जी         जीवनदास जी
    |              टूंकलिया          पांचलोडिया       चावण्डिया
    |                      |                पुरोहितासनी
    |                      |            सिणिया
    |.                      |
खेताजी                  |________
    |__________________|.    |
    |.                                |.    |
रायसल जी                       |.    |
    |.                                 |.    |
__|_1__________ 2_.       |.   |
उदयसिंह जी      पीथा जी /.  |.   |
    |                  पृथ्वीसिंह जी |.   |
    |                   बडली 
                   आपने एक राजकुमारी
       |            से विवाह  किया ज़िससे
                   दिल्ली  का  बादसाह  विवाह
                  करने  की  घोषणा कर  चुका
                   था  मुझे  इनके बारे मे ईस
         |          विषय  मे  कोई  विस्तार  से
                    बताये क्या  आप  ही  रिक्तिया
          |           भेरूजी  है
__1___________2___.        |.   |
कुम्भा जी       भारमल जी       |.   |
खाराबेरा        धोलेरिया          |.    |
                     शासन           |.      |
_________________________.    |
        खेता जी के वंशज                   |
किशनगढ रियासत के राजपुरोहित        |
थे  जिनको वहा 4-5 गाँव जागीर             |
मिले थे इनमे प्रमुख बीती ,ऊजोली ओर कल्यानपूरा |
है ओर गाँव के नाम  मुझे याद नही है          |
बीती के  सेवड़ खेताजी  के बाद का वंश चाट     |
ओर गाँव भी बताये                                   |
____1__________2____________ 3___|_
गंगदास जी           करण दास जी   देवीदास जी
      |.                     ?                       ?
___1________2_________3________4___________5_
धनराजजी  भीयांदासजी रामदासजी नारायणदासजी  जीवनदासजी
टूंकलिया     रतनपूरा        गुलर          मेवाड                  रेन
                 बोरावड                            गये
                 तोसिंणा
                 सितापुरो
                 मन्नाणा
                   भेरनेर
                 सबलपुर
______________________________________________
                  6.   निम्बोजी गंगदासोत
घोडावड़ , बलाडा , रुपनगर , कोड़ीया ओर धनेरिया के
सेवड़  निम्बोजी के वंशज है ओर निम्बावत सेवड़ कहलाते है
निम्बावतो मे ही  संत  सेवादास जी  महाराज हूए थे ,वे राम  जी
की भक्ती मे लीन  रहते  थे , मेने सेवादास जी महाराज पर भी
एक पोस्ट की थी  ,मेरे पास निम्बावतो का वंश चाट  था  किसी
ने मुझे भेजा  था  अब  नहीं  है


                                           6.
                                 दामाजी हरपालोत
                               तिंवरी के अलावा 7-8 गाँव
                                   गेंवा - बागां , बांकली
                                       मांडहाई
__1_________2________3___________4_____
ऊदा जी    नडा जी        देवनदास जी      नामो जी /नेमो जी
थोब ,      वंशज नहीं           |.                    भावी
 बिगमी                  1____| ___2_           बिलाडा
                       फल्लेराज जी  रामदेव जी   आसरावो
                        नारवां पु .    पापासनी        इनके वंशज
                                         बिरलोका        है या नहीं है
                                        की बासनी
___5_____________6_______________7__
बिज्जा जी            बिसौ जी                बिका /विका जी
घेवडा ,.                      |                           (विक्रम जी )
मोहराई ,.                    |                     बिकानेर गये
रूपावास ,.                  |                         27 गाँव               
इनके पुत्र                     |.                   कोई बिकानेरी सेवड़
चौथ जी                      |.                     विक्रम जी का
के राजसिंह जी             |.                      वंश चाट  ओर
के गाँव                        |.                     27 गाँव  के
रूपावास ,.                  |.                        नाम भेजे तो
मोहराई ,.                     |.                       मैं इसमे जोड
पांचवा ,.                      |.                           दूंगा
बांता ,.                         |
बडियालो ,.                   |
खाचरियो                      |
की बासनी                    |
__________________. |_______
                                बिसोजी दामावत
विठू , झूँझण्डा इनको मिले ,,तिंवरी ओर पिता जी के बचे हूये गाँव
___1________2___________3________4_______
कुम्पा जी         करम जी             लिखम जी         अमर  जी
तिंवरी         विठू से निंबाज                           विठू से निम्बाज |____________________________________________
__1__________2____________3_____________4____
केसोजी कुम्पावत  भोजराज जी    मूलराज जी       तिलोक जी
घंटियाला                 तालकिया            तिंवरी सहित
                                                   24 से भी  ज्यादा गाँव .     
_____________________________|____________
        1                  2.                   3.                     4
प्रतापसिंह जी     राजसिंह जी       छता जी            रायसल  जी
तिंवरी सहित        बिकरलाई        धुरासनी          मालपुरिया
16 गाँव                                                      इनके वंशज
 सिंह का                                                   रतलाम राज्य के
 खिताब                                                  राजपुरोहित बने
 1600                                                  ओर मालपुरिया
   वि .स                                                सेवड़ कहलाते है
   मे राव                                              इनका ठिकाना
 मालदेव                                            कचलाना  है ओर
   ने दी                                           अन्य  जगह  भी गये
___5_________6___________7________8________9 ___
भानीदास जी     विरम जी   महेशदास जी   रायमल  जी     पदम जी
 भोजास .       ___             चाडवास         _____.         _____
____________________________________________
                          प्रतापसिंह जी मूलराजोत  तिंवरी
__1___ __________    _2___  ___3____             _4____
ठा . कल्याण सिंह जी  शंकरसिंह   सुरतोंणसिंह  जी    साँवत जी
 तिंवरी सहित                   बडला                              दुदवड
   14 गाँव                तिंवरी मे प्रताप जी       
                             के कोट मे इनके वंशज.
____________________________________________
            तिंवरी के प्रथम ठाकुर कल्याण सिंह जी प्रतापसिंगोत
____1__________2____ I __3_______ ___4
रामसिंह जी गोविन्द दास जी    रायभानसिंह जी  कर्णसिंह जी
तिंवरी सहित     ढ़ण्ढ़ोरा           भटनोखा         खेड़ापा
12 गाँव                                                        4 पीढ़ी बाद
                                                                    कोई नही हूए
____5______ _____6__________     7________  8       किसनदास जी     जगनाथ  जी        रतनसिंह  जी   सुरसिंह जी         
   अंतिम चार  भाइयो  का इतिहास पता  नहीं  हो  सका  ओर  इनके
वंशज़ या गाँव पता  नहीं  हूए  इनके  वंशज़ नहीं  है  शायद 
______________________________________________
       तिंवरी के दुसरे ठाकुर  रामसिंह जी कलावत
_____1__________2___________3___________4___
     मनोहरदास जी   तेजमाल जी   अचलदास जी  गोरधन  जी
तिंवरी सहित 10 गाँव  तीनो भाइयो का  वंश आगे नहीं बढ़ पाया
______________________________________________
 तिंवरी के तीसरे ठाकुर मनोहरदास जी रामसिंगोत
_____1__________2______  _3____________4_______
पदमसिंह जी    उदयसिंह जी     अजब सिंह जी     दलपतसिंह जी
1,2,3, भाइयो के वंश आगे नही बढ़ पाया                तिंवरी
_____________________________________________
                   दलपतसिंह जी मनोहरदासोत तिंवरी
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       नगराज जी                   अखेराज जी
इनके वंशज नही हूए         तिंवरी सहित अन्य 10 गाँव
_____________________________________________
              तिंवरी के पाँचवे ठाकुर अखेराज जी दलपतोत
_1_____      __2________3____________4___
सूरजमल जी  महासिंह जी     केसरीसिंह जी   जयसिंह जी
तिंवरी सहित    खींचन      खेडापा प्रताप सिंग    जाटियावास
6 गाँव                       धुंधियाड़ी अनोपसिंह जी  अन्य 3 गाँव
____________________________________________
          तिंवरी के छठे ठाकुर सूरजमल जी अखेराजोत
______1____________2_________3_____4_______5_
शिवसिंह जी         रुपसिंह जी     तीनो के नाम  पता नही हूए
सूरजमलजी के कितने पुत्र  थे ओर पूत्रो  के पुत्र  कितने हूये कोई नहीं बताते  बाद  मे किसी  के  वंशज़ नही  रहे या अन्य कारनवास छोटे भाई महासिंह जी के छठे पुत्र तेज सिंह जी को गौद  लेते है   ओर उनके वंशज अब तिंवरी मे रहते  है  मुझे अब तक किसी ने पुरी जानकारी नही दी
____________________________________________
                     महासिंह जी अखेराजोत खींचन
___1 _________2___________3___________4____
लालसिंह जी   संग्राम सिंह जी   सुरतसिंह जी      चेनसिंह जी
खीचन               खीचन .            खीचन              खीचन
___5______________6____________7_______
वियजराज जी            तेजसिंह जी        फतेहसिंह जी
                                तिंवरी गये        भावंडा 1/6 भाग
                                                      फिल्ला भाग मे इनके
______________________________________________
                      विजयराज जी महासिंगोत
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सरदार जी राजसिंहजी ज़िवराजजी  विशनजी   मोहकम जी
कोट वाली  खुतडी     भावण्डा         भावण्डा  भावण्डा
भैंसेर          भैंसेर        कोट              बंगला    वंशज ?
                              धांधलावास
                                 मेडावास
Wrriter=Mahendrasingh moolrajot dhandhora
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit jasol
7621931486


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हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का  उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा

राजपुरोहित समाज के सभी गोत्रो के नाम

राजपुरोहित गोत्र आप की कोनसी है
1. रायगर
2. सोढा
3. श्री गौड़
4. राजगुरू
5. अजारिया
6. बाडमेरा
7. सांचोरा
8. मलार
9. कराचिया
10. पिपलिया
11. पिण्डिया
12. अमेटा
13. मंदपङ
14. भंवरिया
15. खोया
16. सिद्धप
17. ओझा
18. सिलोरा
19. जागरवाल
20. पारीक
21. सिया
22. पांचलोड
23. चांवडिया
24. कवाणचा
25. हाथला
26. बोतिया
27. सोरणिया
28. सेवड़
29. गुदेचा
30. मुथा
31. चरक
32. गोटाड़
33. सोथङा
34. नंदवाणा
35. नाणीवाल
36. अश्रवारिया
37. गोमतीवाल
38. पुष्करणा
39. बालबंचा
40. भगोरा
41. मुमाडिया
42. करनारिया
43. धमानिया
44. घोटा
45. दताणिया
46. सेणपुरा
47. बांडाणिया
48. बालरिया
49. डाईवाल
50. पालीवाल
51. पुजारिया
52. बुज़ङ
53. हिडार
54. लूणतारा
55. लदिवाल
56. दिवानिया
57. बुवाड़ी
58. सेपङ
59. सिंधला
60. रहवास
61. बाकलिया
62. नारायणचा
63. कुत्चा
64. बोया
65. खिरपुरा
66. पोकरणा
67. अगरवाला
68. भरतिया
69. थानक
70. आंवलिया
71. भेपङ
72. हलसिया
73. उदेरा
74. रावल
75. नेतरोड़
76. रुदवा
77. कुचला
78. कोसाणी / कोषाना
79. त्रवाङी
80. सामङा
81. जोशी
82. कोटिवाल
83. टकावाल
84. सेवरिया
85. सेपाऊ
86. दुदावत
87. व्यास
88. रायथला
89. लाह्फा
90. लापद
91. गोरखा
92. पोदरवाल
93. महवा
94. मङवो
95. हेड़ाऊ
96. दुधवा
97. मकवाणा
98. महिवाल
99. लच्छीवाल
100. टिटोपा
101. ढमढमिया
102. डईयाल
103. लहारियो
104. रोड़याल
105. गईयाल
106. केदारिया
107. बाकलेचा
108. छिद्रवाल
109. लाम्पोज़र
110. गाबियां
111. रेढलिया
112. संखवालचा
113. रुदवा
114. गंधा
115. उदेच
116. फांदर
117. लखावा
118. कोपराऊ
119. टमटमिया
120. डिंगारी
121. केसरिया
122. बाबरिया
123. मनणा
124. टखाङी
125. पुणायचा
126. जरगालिया
127. दादला
128. बोरा
129. ओदिचा
130. दूधा
131. कल
132. श्रीरख
133. बलवाचा
134. कश्यप:
135. माकाणा
136. दुदावत
137. कतबा
138. सटीयातर
139. खापरोला
140. पादरेचा
141. फोरनिया
142. वीरपुरा
143. गोमठ
144. कोठारिया
145. सिरवाडा
146. आकसेरिया
147. गोलवाडीया
148. नेतरेराड
149. उदेश
150.मढवी
151. साँथुआ
152.मावा
153.सेवरवाल
154.हाल्सिया
155.नदुआणा 
  👍🏻🌹राजपुरोहित समाज🌹🙏
प्रस्तुकर्ता=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
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Sunday, 19 July 2020

जसोल के लेफ्टीनल जनरल हनुतसिंहजी राठौड़ इंडियन आर्मी के वो फौजी जिन्होंने देशसेवा के लिए नहीं की शादी।

*जसोल के लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह : इंडियन आर्मी के वो फौजी जिन्होंने देशसेवा के लिए नहीं की शादी*
*बाड़मेर जसोल* हनुत सिंह...। यह नाम भारतीय सेना में बड़े गर्व से लिया जाता है। हनुत सिंह उस शख्स का नाम है जो भारतीय सेना के सबसे कुशल रणनीतिकार कहे जाते थे। ये भारतीय सेना के 12 सबसे चर्चित अफ़सरों में से एक थे। ​हनुत सिंह उस गौरवशाली टैंक रेजिमेंट 17 पूना हॉर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर (सीओ) थे, जिसका सन 1971 की लड़ाई में अदम्य साहस देख पाकिस्तान की सेना ने 'फ़क्र-ए-हिन्द' का ख़िताब दिया था।लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह मूलरूप से राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले से करीब 102 दूर किलोमीटर जसोल कस्बे के रहने वाले थे। 6 जुलाई 1933 को जन्मे हनुत सिंह 10 अप्रैल 2015 को इस जहां रुखसत हो गए। आईए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह की जिंदगी के बारे में।
वीके सिंह ने अपनी किताब ​में किया जिक्र
वीके सिंह ने अपनी किताब ​में किया जिक्र
भारतीय सेना के सबसे गौरवशाली अफ़सरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल ‘हंटी' उर्फ़ हनुत सिंह ने सेना में अपना सर्वस्व झोंकने के लिए विवाह नहीं किया। रिटायर्ड मेजर जनरल वीके सिंह ने अपनी पुस्तक ‘लीडरशिप इन द आर्मी' में हनुत सिंह के पराक्रम और देशसेवा के जज्बे के बारे में विस्तार से लिखा है। सिंह लिखते हैं, ‘अगरचे कोई एक लफ्ज़ है जो हनुत सिंह के बारे में समझा सके तो वह है- सैनिका। हनुत सेनाध्यक्ष तो नहीं बन पाए पर लेफ्टिनेंट कर्नल रहते हुए भी वे एक किंवदंति बन गए थे'।
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें वर्ष 1986 में एक वक्त ऐसा भी आया था जिसे देख कहा जाता है कि वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल देते। दरअसल, 1986 में हुआ यह था कि एक फरवरी को जनरल के सुंदरजी ने भारतीय सेना की कमान संभाली और राजस्थान से लगी हुई पाकिस्तानी सीमा पर तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास कराने की योजना बनाई।
 युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
नए सेनाध्यक्ष सुंदरजी बदलते दौर की युद्ध शैलियों, एयरफोर्स की एयर असाल्ट डिविज़न और रीऑर्गनाइस्ड असाल्ट प्लेन्स इन्फेंट्री डिविज़न को आज़माना चाहते थे। इस संयुक्त युद्धाभ्यास की कमांड उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी। इससे पहले एक उच्च स्तरीय मीटिंग में हनुत सुंदरजी से किसी बात पर दो-दो हाथ कर चुके थे। तब फ़ौज में यह बात उड़ गई कि हनुत अब रिटायरमेंट ले लेंगे पर सुंदरजी नियाहत ही पेशेवर अफ़सर थे, उन्होंने हनुत का सुझाव ही नहीं माना, उन्हें प्रमोट भी किया था।
 राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
संयुक्त युद्धाभ्यास करने के लिए 29 अप्रैल 1986 को भारतीय सेना के करीब डेढ़ लाख सैनिक भारत-पाकिस्तान से लगती राजस्थान सीमा पर पहुंचे। जब यह युद्धाभ्यास चौथे चरण में पहुंचा तो सैनिकों को उस प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा जो अब तक नहीं हुआ था। भारत के तीखे तेवर देखकर पाकिस्तान में हडकंप मच गया। इसकी एक वजह ये थी कि पाकिस्तान सेना हनुत सिंह के नाम से ही कांपती थी। 1971 के युद्ध में हनुत सिंह ने पाक सेना के 60 टैंक मार गिराए थे। इस जंग में शानदार नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल हंटी को महावीर चक्र मिला था।
 दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
भारतीय सेना के इस युद्धाभ्यास को सीधे तौर पर संभावित भारतीय हमला समझा गया था। जिसकी वजह से पाकिस्तानी सरकार के पसीने छूट गए थे। पश्चिम के डिप्लोमेट्स भारत की पारंपरिक युद्ध की ताक़त से हैरान रह गए थे, क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में यह तब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास था। पाकिस्तान ने ट्रैक 2 डिप्लोमेसी का इस्तेमाल किया और बड़ी मुश्किल से इस युद्धाभ्यास को रुकवाया।
 तो क्या असल मकसद कुछ और था?
तो क्या असल मकसद कुछ और था?
सुंदरजी इसे सिर्फ़ एक अभ्यास की संज्ञा दे रहे थे पर जानकारों के मुताबिक़ इस युद्धाभ्यास का असल मकसद कुछ और ही था। इसके रुकने पर हनुत और उनके अफ़सर बड़े मायूस हुए। वीके सिंह लिखते हैं कि हनुत का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए यकीन से कहा जा सकता है कि अगर हनुत को इजाज़त मिल जाती तो वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल दे।
Gen. Hanut Singh Rathore
(PVSM MVC)
इसलिए नहीं करवाई हनुत सिंह ने शादी
हनुत सिंह उर्फ़ ‘हंटी' का मानना था कि सैनिक अगर शादी कर लेता है तो परिवार सेवा देश सेवा के आड़े आती है। इसलिए उन्होंने शादी नहीं करवाई। ताउम्र अविवाहित रहे। वे अपने जूनियर अफ़सरों को भी ऐसी ही सलाह देते थे। एक समय ऐसा भी आया कि उनकी यूनिट में काफ़ी सारे जवान और अफ़सर उनके इस फ़लसफ़े से प्रभावित होकर कुंवारे ही रहे। इस बात से जूनियर अफ़सरों के मां-बाप हनुत सिंह से परेशान रहते। कइयों ने शिकायत भी की पर उनकी सेहत पर इस तरह की शिकायतो का असर नहीं होता था।
 🇮🇳 *General Hanut Singh: Indian Army soldier*🇮🇳
Prasenting by=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
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