*जसोल के लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह : इंडियन आर्मी के वो फौजी जिन्होंने देशसेवा के लिए नहीं की शादी*
*बाड़मेर जसोल* हनुत सिंह...। यह नाम भारतीय सेना में बड़े गर्व से लिया जाता है। हनुत सिंह उस शख्स का नाम है जो भारतीय सेना के सबसे कुशल रणनीतिकार कहे जाते थे। ये भारतीय सेना के 12 सबसे चर्चित अफ़सरों में से एक थे। हनुत सिंह उस गौरवशाली टैंक रेजिमेंट 17 पूना हॉर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर (सीओ) थे, जिसका सन 1971 की लड़ाई में अदम्य साहस देख पाकिस्तान की सेना ने 'फ़क्र-ए-हिन्द' का ख़िताब दिया था।लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह मूलरूप से राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले से करीब 102 दूर किलोमीटर जसोल कस्बे के रहने वाले थे। 6 जुलाई 1933 को जन्मे हनुत सिंह 10 अप्रैल 2015 को इस जहां रुखसत हो गए। आईए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह की जिंदगी के बारे में।
वीके सिंह ने अपनी किताब में किया जिक्र
वीके सिंह ने अपनी किताब में किया जिक्र
भारतीय सेना के सबसे गौरवशाली अफ़सरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल ‘हंटी' उर्फ़ हनुत सिंह ने सेना में अपना सर्वस्व झोंकने के लिए विवाह नहीं किया। रिटायर्ड मेजर जनरल वीके सिंह ने अपनी पुस्तक ‘लीडरशिप इन द आर्मी' में हनुत सिंह के पराक्रम और देशसेवा के जज्बे के बारे में विस्तार से लिखा है। सिंह लिखते हैं, ‘अगरचे कोई एक लफ्ज़ है जो हनुत सिंह के बारे में समझा सके तो वह है- सैनिका। हनुत सेनाध्यक्ष तो नहीं बन पाए पर लेफ्टिनेंट कर्नल रहते हुए भी वे एक किंवदंति बन गए थे'।
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें वर्ष 1986 में एक वक्त ऐसा भी आया था जिसे देख कहा जाता है कि वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल देते। दरअसल, 1986 में हुआ यह था कि एक फरवरी को जनरल के सुंदरजी ने भारतीय सेना की कमान संभाली और राजस्थान से लगी हुई पाकिस्तानी सीमा पर तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास कराने की योजना बनाई।
युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
नए सेनाध्यक्ष सुंदरजी बदलते दौर की युद्ध शैलियों, एयरफोर्स की एयर असाल्ट डिविज़न और रीऑर्गनाइस्ड असाल्ट प्लेन्स इन्फेंट्री डिविज़न को आज़माना चाहते थे। इस संयुक्त युद्धाभ्यास की कमांड उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी। इससे पहले एक उच्च स्तरीय मीटिंग में हनुत सुंदरजी से किसी बात पर दो-दो हाथ कर चुके थे। तब फ़ौज में यह बात उड़ गई कि हनुत अब रिटायरमेंट ले लेंगे पर सुंदरजी नियाहत ही पेशेवर अफ़सर थे, उन्होंने हनुत का सुझाव ही नहीं माना, उन्हें प्रमोट भी किया था।
राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
संयुक्त युद्धाभ्यास करने के लिए 29 अप्रैल 1986 को भारतीय सेना के करीब डेढ़ लाख सैनिक भारत-पाकिस्तान से लगती राजस्थान सीमा पर पहुंचे। जब यह युद्धाभ्यास चौथे चरण में पहुंचा तो सैनिकों को उस प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा जो अब तक नहीं हुआ था। भारत के तीखे तेवर देखकर पाकिस्तान में हडकंप मच गया। इसकी एक वजह ये थी कि पाकिस्तान सेना हनुत सिंह के नाम से ही कांपती थी। 1971 के युद्ध में हनुत सिंह ने पाक सेना के 60 टैंक मार गिराए थे। इस जंग में शानदार नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल हंटी को महावीर चक्र मिला था।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
भारतीय सेना के इस युद्धाभ्यास को सीधे तौर पर संभावित भारतीय हमला समझा गया था। जिसकी वजह से पाकिस्तानी सरकार के पसीने छूट गए थे। पश्चिम के डिप्लोमेट्स भारत की पारंपरिक युद्ध की ताक़त से हैरान रह गए थे, क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में यह तब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास था। पाकिस्तान ने ट्रैक 2 डिप्लोमेसी का इस्तेमाल किया और बड़ी मुश्किल से इस युद्धाभ्यास को रुकवाया।
तो क्या असल मकसद कुछ और था?
तो क्या असल मकसद कुछ और था?
सुंदरजी इसे सिर्फ़ एक अभ्यास की संज्ञा दे रहे थे पर जानकारों के मुताबिक़ इस युद्धाभ्यास का असल मकसद कुछ और ही था। इसके रुकने पर हनुत और उनके अफ़सर बड़े मायूस हुए। वीके सिंह लिखते हैं कि हनुत का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए यकीन से कहा जा सकता है कि अगर हनुत को इजाज़त मिल जाती तो वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल दे।
Gen. Hanut Singh Rathore
(PVSM MVC)
इसलिए नहीं करवाई हनुत सिंह ने शादी
हनुत सिंह उर्फ़ ‘हंटी' का मानना था कि सैनिक अगर शादी कर लेता है तो परिवार सेवा देश सेवा के आड़े आती है। इसलिए उन्होंने शादी नहीं करवाई। ताउम्र अविवाहित रहे। वे अपने जूनियर अफ़सरों को भी ऐसी ही सलाह देते थे। एक समय ऐसा भी आया कि उनकी यूनिट में काफ़ी सारे जवान और अफ़सर उनके इस फ़लसफ़े से प्रभावित होकर कुंवारे ही रहे। इस बात से जूनियर अफ़सरों के मां-बाप हनुत सिंह से परेशान रहते। कइयों ने शिकायत भी की पर उनकी सेहत पर इस तरह की शिकायतो का असर नहीं होता था।
🇮🇳 *General Hanut Singh: Indian Army soldier*🇮🇳
Prasenting by=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
7621931486
हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और ग्रुप में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के जरिए जनरल नॉलेज मिलता है, समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा
*बाड़मेर जसोल* हनुत सिंह...। यह नाम भारतीय सेना में बड़े गर्व से लिया जाता है। हनुत सिंह उस शख्स का नाम है जो भारतीय सेना के सबसे कुशल रणनीतिकार कहे जाते थे। ये भारतीय सेना के 12 सबसे चर्चित अफ़सरों में से एक थे। हनुत सिंह उस गौरवशाली टैंक रेजिमेंट 17 पूना हॉर्स के कमांडिंग ऑफ़िसर (सीओ) थे, जिसका सन 1971 की लड़ाई में अदम्य साहस देख पाकिस्तान की सेना ने 'फ़क्र-ए-हिन्द' का ख़िताब दिया था।लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह मूलरूप से राजस्थान के सरहदी बाड़मेर जिले से करीब 102 दूर किलोमीटर जसोल कस्बे के रहने वाले थे। 6 जुलाई 1933 को जन्मे हनुत सिंह 10 अप्रैल 2015 को इस जहां रुखसत हो गए। आईए उनके जन्मदिन के मौके पर जानते हैं कि लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह की जिंदगी के बारे में।
वीके सिंह ने अपनी किताब में किया जिक्र
वीके सिंह ने अपनी किताब में किया जिक्र
भारतीय सेना के सबसे गौरवशाली अफ़सरों में से एक लेफ्टिनेंट जनरल ‘हंटी' उर्फ़ हनुत सिंह ने सेना में अपना सर्वस्व झोंकने के लिए विवाह नहीं किया। रिटायर्ड मेजर जनरल वीके सिंह ने अपनी पुस्तक ‘लीडरशिप इन द आर्मी' में हनुत सिंह के पराक्रम और देशसेवा के जज्बे के बारे में विस्तार से लिखा है। सिंह लिखते हैं, ‘अगरचे कोई एक लफ्ज़ है जो हनुत सिंह के बारे में समझा सके तो वह है- सैनिका। हनुत सेनाध्यक्ष तो नहीं बन पाए पर लेफ्टिनेंट कर्नल रहते हुए भी वे एक किंवदंति बन गए थे'।
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
...तो क्या पलट देते भारत-पाकिस्तान का नक्शा?
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें वर्ष 1986 में एक वक्त ऐसा भी आया था जिसे देख कहा जाता है कि वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल देते। दरअसल, 1986 में हुआ यह था कि एक फरवरी को जनरल के सुंदरजी ने भारतीय सेना की कमान संभाली और राजस्थान से लगी हुई पाकिस्तानी सीमा पर तीनों सेनाओं का संयुक्त युद्धाभ्यास कराने की योजना बनाई।
युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
युद्धाभ्यास की कमांड लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी
नए सेनाध्यक्ष सुंदरजी बदलते दौर की युद्ध शैलियों, एयरफोर्स की एयर असाल्ट डिविज़न और रीऑर्गनाइस्ड असाल्ट प्लेन्स इन्फेंट्री डिविज़न को आज़माना चाहते थे। इस संयुक्त युद्धाभ्यास की कमांड उन्होंने लेफ्टिनेंट जनरल हनुत सिंह को सौंपी। इससे पहले एक उच्च स्तरीय मीटिंग में हनुत सुंदरजी से किसी बात पर दो-दो हाथ कर चुके थे। तब फ़ौज में यह बात उड़ गई कि हनुत अब रिटायरमेंट ले लेंगे पर सुंदरजी नियाहत ही पेशेवर अफ़सर थे, उन्होंने हनुत का सुझाव ही नहीं माना, उन्हें प्रमोट भी किया था।
राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
राजस्थान सीमा पर पहुंचे डेढ़ लाख सैनिक
संयुक्त युद्धाभ्यास करने के लिए 29 अप्रैल 1986 को भारतीय सेना के करीब डेढ़ लाख सैनिक भारत-पाकिस्तान से लगती राजस्थान सीमा पर पहुंचे। जब यह युद्धाभ्यास चौथे चरण में पहुंचा तो सैनिकों को उस प्रशिक्षण से गुज़रना पड़ा जो अब तक नहीं हुआ था। भारत के तीखे तेवर देखकर पाकिस्तान में हडकंप मच गया। इसकी एक वजह ये थी कि पाकिस्तान सेना हनुत सिंह के नाम से ही कांपती थी। 1971 के युद्ध में हनुत सिंह ने पाक सेना के 60 टैंक मार गिराए थे। इस जंग में शानदार नेतृत्व के लिए लेफ्टिनेंट कर्नल हंटी को महावीर चक्र मिला था।
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
दूसरे विश्व युद्ध के बाद सबसे बड़ा युद्धाभ्यास
भारतीय सेना के इस युद्धाभ्यास को सीधे तौर पर संभावित भारतीय हमला समझा गया था। जिसकी वजह से पाकिस्तानी सरकार के पसीने छूट गए थे। पश्चिम के डिप्लोमेट्स भारत की पारंपरिक युद्ध की ताक़त से हैरान रह गए थे, क्योंकि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद दक्षिण एशिया में यह तब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास था। पाकिस्तान ने ट्रैक 2 डिप्लोमेसी का इस्तेमाल किया और बड़ी मुश्किल से इस युद्धाभ्यास को रुकवाया।
तो क्या असल मकसद कुछ और था?
तो क्या असल मकसद कुछ और था?
सुंदरजी इसे सिर्फ़ एक अभ्यास की संज्ञा दे रहे थे पर जानकारों के मुताबिक़ इस युद्धाभ्यास का असल मकसद कुछ और ही था। इसके रुकने पर हनुत और उनके अफ़सर बड़े मायूस हुए। वीके सिंह लिखते हैं कि हनुत का पिछला रिकॉर्ड देखते हुए यकीन से कहा जा सकता है कि अगर हनुत को इजाज़त मिल जाती तो वे दोनों मुल्कों का नक्शा बदल दे।
Gen. Hanut Singh Rathore
(PVSM MVC)
इसलिए नहीं करवाई हनुत सिंह ने शादी
हनुत सिंह उर्फ़ ‘हंटी' का मानना था कि सैनिक अगर शादी कर लेता है तो परिवार सेवा देश सेवा के आड़े आती है। इसलिए उन्होंने शादी नहीं करवाई। ताउम्र अविवाहित रहे। वे अपने जूनियर अफ़सरों को भी ऐसी ही सलाह देते थे। एक समय ऐसा भी आया कि उनकी यूनिट में काफ़ी सारे जवान और अफ़सर उनके इस फ़लसफ़े से प्रभावित होकर कुंवारे ही रहे। इस बात से जूनियर अफ़सरों के मां-बाप हनुत सिंह से परेशान रहते। कइयों ने शिकायत भी की पर उनकी सेहत पर इस तरह की शिकायतो का असर नहीं होता था।
🇮🇳 *General Hanut Singh: Indian Army soldier*🇮🇳
Prasenting by=Mahendrasingh Rajpurohit Manna Jasol
7621931486
हमारा प्रयास आपको अच्छा लगे तो कमेंट बॉक्स में जय श्री खेतेश्वर दाता री सा जरूर लिखे सा
हमारा प्रयास राजपुरोहित समाज में एकता लाना है सा और ग्रुप में प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता के जरिए जनरल नॉलेज मिलता है, समाज के बंधुओ को नई नई जानकारी मिलती हैं।और आपस में भाईचारा और प्रेम भाव बढाने का उद्देश्य है हमारा जो संत श्री श्री १००८ संत श्री खेताराम जी महाराज जी ने हम राजपुरोहित समाज को जो उपदेश देके गए हैं कि राजपुरोहित के घर बकरी नहीं रखना है , और आपस मैं भाईचारा कायम रखना है हमारा उद्देश्य भी यही है बस आप सभी का साथ चाहिए क्युकी आपका साथ ही हमारा हौसला है
सबका साथ सबका विकास
जय श्री खेतेश्वर दाता री सा
जय मां भवानी
ReplyDeleteजय जय राजपुताना
जय श्री गुरुदेव जी खेताराम जी महाराज जी री सा